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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विवीतः १००० विशद विवीतः (पुं०) [विशिष्टं वीतं] चरगाह स्थान। बाड़ा घेरा। विवेकपदवी (स्त्री०) चिन्तन, विचार। विवुधः (पुं०) देवता (वीरो० १/२२) * बुद्धिहीन। (वीरो० विवेकवान (वि०) बुद्धिमान्। (सुद० ४/२) १/२२) विवेकशाणा (स्त्री०) विवेक की कसौटी। (सुद० १०२) विवृक्त (स्त्री०) [विवृक्त+टाप्] दुर्भगा स्त्री, पति के प्रेम से विवेकशाली (वि०) विद्वान्, ज्ञानी। (जयो०वृ० ३/८४) रहित स्त्री। विवेकशील (वि०) विद्वान्, बुद्धिमान्। विवृत (वि०) कहा गया, बतलाया गया, प्रतिपादित किया विवेकाञ्चिता (वि०) विवेक शालिनी, प्रौढ़ा स्त्री। गया। (जयो० १४ ) (जयो० ५/५३) विवेकिन् (वि०) विवेकी, ज्ञानी, बुद्धिमान्। (सुद० १२१) विवृत (भू०क०कृ०) [वि+व+क्त] * अभिव्यक्त, प्रदर्शित, विवेकिना (स्त्री०) मनस्विना। (जयो० १३/६३) प्रकटीकृत। विवेकिनी (स्त्री०) विवेकशीला स्त्री। बुद्धिमति। (समु०८/१३) * निराच्छादन (जयो २४/३७) विवेक्त (पुं०) न्यायकारी। * स्पष्ट, * उद्घोषित। विवेचक (वि०) पृथक्करणशील, व्याख्याकार, निरूपक, * व्याख्यायित, विस्तारित। (सम्य० १५४) भाष्यकार। (जयो०६/३७) विवृति (स्त्री०) [विo+व+क्तिन्] * विस्तार, ०फैलाव। रहित, | विवेचनं (नपुं०) [वि+विच्+ल्युट्] * कथन, निरूपण, प्ररूपणा। अभाव। (सुद० १००) (समु० ४/१) * प्रदर्शन, प्रकटीकरण। * विचार, चिन्तन। (जयो० ५/१९) * अनावरण, व्यक्तिकरण। * प्रतिपादन, व्याख्यान। * भाष्य, टीका, वृत्ति, व्याख्या। विवेचना (स्त्री०) प्ररूपणा, कथन। (सम्य. १२४) विवृत (भू०क०कृ०) [वि+वृत्+क्त] मुड़कर आया हुआ, विश (अक०) प्रविष्ट होना, घुसना। (जयो० १४/२३) आना, मुड़ा हुआ, घूमा हुआ। (जयो०वृ० १/२२) चक्कर काटा पड़ाव डालना, डेरा लगाना। हुआ। भंवर, चक्कर। विश् (अक०) लिख देना, उत्कीर्ण करना। विवृत्तिः (स्त्री०) चक्कर, परावर्तन, परिभ्रमण। ___* सौंपना, देना, प्रदान करना। निवृतोक्त (वि०) जीवनोपयोगी कथन। (वीरो० ११/३) विश् (पुं०) वैश्य, वणिक्। (सुद० ३/३) विवृद्ध (भू०क०कृ०) [वि+वृध्+क्त] * बढ़ा हुआ, विकास | विश् (स्त्री०) पुत्री, प्रजा, राष्ट्र। को प्राप्त हुआ। विशं (नपुं०) कमल नाल। * तीव्र, विपुल, विशाल, प्रचुर। * सद्मन, दिव्यभवन। (जयो० ३/७१) (समु०५/२०) विवृत्ति (स्त्री०) [वि+वृध+क्तिन] निकास, बढ़ना, वर्धना। प्रासाद। * समृद्धि। * वस्तु। (जयो० २/३०) विवेकः (पुं०) [वि+विक्+घञ्] * बोध, ज्ञान, बुद्धि, प्रज्ञा। | विशङ्कट (वि०) [वि+शक्+अटच्] * बड़ा, विशाल, वृहत्। (सम्य० ७५). * दृढ़, मजबूत, प्रचंड, शक्तिशाली। * हेयोपादेयज्ञान। विशङ्का (स्त्री०) [विशिष्टा विगता वा शङ्का] आशंका, भय, * विचार, गवेषणा, अनुशीलना (जयो०वृ० १/३६) ___ * प्रबोध, वस्तु तत्त्व की निर्णायक। (सम्य० १२२) । विशजित (वि०) प्रजा को जीतने वाला। * शक्ति, विशेष अभिव्यक्ति। विशद (वि०) [वि+शद्+अच] निर्मल। * स्पष्ट। विवेककुल्यु (वि०) बुद्धिमान्। (सम्य० ९६) * विशुद्ध, निर्मल, स्वच्छ। (वीरो० ४/३१) विवेकगम्य (वि०) ज्ञानी आत्मा। (सम्य० १२२) * विशद, निर्मल, प्रख्यात। (जयो० ३/६) विवेकज्ञ (वि०) विचारज्ञ, प्रज्ञ अज्ञ, विज्ञ।। * निर्दोष। (जयो० २/९) विवेकज्ञानं (नपुं०) उचित ज्ञान, अच्छा ज्ञान। * समुज्ज्व ल। (जयो० १७/४९) विवेकधामः (पुं०) ज्ञान स्थान। चैतन्यधाम। (सुद० १३३) * उज्ज्व ल, सुंदर, रमणीय। डर। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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