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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशद-कामना १००१ विशालतरु * शुद्ध। (जयो० ६/६६) विशसनः (पुं०) कटार, असि, तलवार। * स्पष्ट, प्रकट। * पवित्र। विशस्त (भू०क०कृ०) [वि+शस्+क्त] * घातित, हनित, * शान्त, निश्चिन्त। विस्फारित, फाड़ा गया। विशद-कामना (स्त्री०) पवित्र कामना। * उजड्ड, अशिष्ट। विशदगति (स्त्री०) शांत अवस्था। * प्रशस्त, प्रख्यात, विश्रुत। विशदचित (वि०) निर्मल चित्त वाला। स्वच्छ हृदय वाला। विशस्तु (पुं०) चाण्डाल, वधक। विशद प्रभा (स्त्री०) उज्ज्वल कीर्ति। विशस्त्र (वि०) [विगतं शस्त्र यस्य] शस्त्रविहीन, अस्त्र रहित। विशदप्रमाणं (नपुं०) स्पष्ट प्रमाण। विशाखः (पुं०) [विशाखानक्षत्रे भव:-विशाखा+अण] विशदभावना (स्त्री०) निर्दोष भावना। विशदा भावना। कार्तिकेया (जयो०वृ० २/९१) * भिक्षुक, आवेदक। विशदमतिः (स्त्री०) शुद्ध धी। (जयो० ६/६६) * निर्मल * तकुवा। बुद्धि, सुमति। विशाख (वि०) शाखा विहीन, ढूंठ। विशदस्वभावः (पुं०) समुज्ज्वल रूप। (जयो० १७/४९) विशाखजः (पुं०) नारंगी तरु। विशदांश (नपुं०) उज्ज्वल किरण, स्वच्छकिरण। (वीरो०४/३१) विशाखा (स्त्री०) [विशिष्टा शाखा प्रकारो यस्य] विशाखा विशदांशुक (वि०) श्वेत वस्त्रधारी, धवल परिधान युक्त। नक्षत्र, नक्षत्रों के भेद में सोलहवां नक्षत्र। (समु०६/१९) (जयो० २६/१३) विशाम्पति (पुं०) एक राजा, महाराज। (जयो० ३/१०५, विशदांशुकः (पुं०) चन्द्र किरण। विशदा अंशुकाः किरणा वीरो०८/६) यस्य स विशदांशुकः। (जयो० १०/८२) विशाम्वरः (पुं०) वैश्य, वणिक् श्रेष्ठ। (सुद० २/३३) * स्वच्छ वस्त्र। विशदान्यंशुकानि वस्त्राणि यस्य सः (जयो०० विशायः (पुं०) [वि+शी+घञ] * पहरा देना, बारी बारी से १०।८२) शयन करना। विशदाक्षता (वि०) पवित्रात्मत्व, उज्ज्वल अक्षत युक्त, प्रसन्न | विशारणं (नपुं०) [वि+श+विच्+ल्युट] * फाड़ना, विदीर्ण खण्ड युक्त। 'विशदाक्षतया पवित्रात्मत्वेन यातमन्तं स्वरूपं करना, नष्ट करना। यस्याः सा पवित्रात्मरूपवती सुलोचना' (जयो०१० ३/८४) * खण्ड खण्ड करना। विशारद (वि०) विशाल+दा+क लस्य र:] चतुर, दक्ष, यस्याः सा प्रसन्नाखण्डाधिकारवती' (जयो०० ३/८४) प्रवीण। विज्ञ, जानकार। "विशदमसङ्कीर्णमक्षतमत्रुटितं च या तस्य मार्गस्यान्तं यस्यां * साहसी। सा' (जयोवृ० ३/८४) 'विशदैरुज्ज्वलैरक्षतैस्तण्डुलैतिं * विद्वान्, बुद्धिमान्। लब्ध प्रान्तं यस्याः सा' (जयो०७० ३/८४) * प्रसिद्ध, ख्यात। विशदाननं (नपुं०) स्वच्छ मुख। (जयो० ११/४४) विशारदा (स्त्री०) बकुलवृक्ष, मौलसिरि तरु। विशदीक (वि०) स्पष्ट करने वाला। (जयो० ८/९०) विशारदा (स्त्री०) विदुषी, प्रज्ञ-स्त्री। (वीरो०४/१३) विशयः (पुं०) [वि+शी+अच्] सन्देह, अनिश्चयता। ___ * शरदागम रहित। (वीरो० ४/१३) * शरण, सहारा। विशाल (वि०) [वि+शालच्] बड़ा, बहुत, लम्बा, अत्यधिक। विशरः (पुं०) [वि+शृ+अप्] * फाड़ना, चीरना। * प्रशस्त, व्यापक, विस्तीर्ण। * वध, हत्या, विनाश। * उन्नत (जयो०वृ० १/१३) वृहिण (जयो० १९/५०) विशल्य (वि०) [विगतं शल्यं यस्मात्] सुरक्षित, चिन्तामुक्त। (सुद० १/२८) समृद्ध, परिपूर्ण। विशल्या (स्त्री०) लक्ष्मण की मूर्छा अवस्था को ठीक करने * प्रमुख, महान्, उत्तम। (सुद० १/२५) वाली एक नारी। (दयो० ९३) विशाल: (पुं०) * एक हरिण विशेष। विशसनं (नपुं०) [वि+शस्+ल्युट] * वध, हनन, घात, हत्या। विशालतरु (पुं०) उन्नत वृक्ष। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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