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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विवर्तनं ९९९ विविध विवर्तनं (नपुं०) [वि+वृत्-ल्युट्] * परार्तन, परिभ्रमण, घूमना। विवारः (पुं०) [वि+वृ+घञ्] मुंह। * प्रवेश द्वार। * चक्कर काटना, लौटना। * छिद्र। विवर्तवार्ता (स्त्री०) अवस्थान वार्ता, पथिकगतवार्ता। | विवासः (पुं०) [वि+वस्+णिच+घञ्] * निष्कासन, देश (जयो०१३/४१) निकाला। विवर्धनं (नपुं०) विस्तार, वृद्धि, विकास। विवासित (भू०क०कृ०) [वि+वस्+णिच्+क्त] * निर्वासित, ___ * अभ्युदय, उत्थान। निस्वासित, निकाला गया। विवर्धिन (भू०क०कृ०) [वि+वृध+क्त] * बढ़ा हुआ, वृद्धिगत, * सुगन्धित। विकासशीला विवाहः (पुं०) [वि+व+घञ्] ब्याह, परिणय, शादी। (समु० * प्रगत, प्रोन्नत, आगे बढ़ाया हुआ। ५/२०) (जयोव० ३/९०) (हित०१०) दर्शकोऽधिपतिरत्र * संतुष्ट, तृप्त। गतयाः सन्मनुष्यवसतरेलकायाः।। विवलित (वि०) मोड़ा गया, व्यामोडित। (जयो० १८/९५) तेन सार्द्धमभवत्तु विवाहः प्रेमतत्त्वत्त्मनयोः समुदाह।। विवश (वि०) [वि+वश्+अच्] * लाचार, असहाय, आश्रयहीन। त्रिवर्गश्रियः आधारो, विवाहोऽथामुनोदितः। * अनियन्त्रित, विषयाधीन। (जयो० २३/१६) विचारपूर्वकं कार्यः, कन्ययाऽन्य कुलोत्थया।। (हित० १०) विवसन (वि०) [विगतं वसनं यस्य] वस्त्र रहित, निर्वस्त्र। विवाहकर्मन् (नपुं०) परिणय क्रिया। (समु०५/२०) विवस्वत् (पुं०) [विशेषेण वस्ते आच्छादयति-वि+वस+ विवाहकार्यः (पुं०) विवाह का कार्य। क्विप्+मतुप्] * दिनकर, सूर्य। विवाहगामिन् (वि०) परिणय के मार्ग पर चलने वाला। * मनु। विवाहपूजा (स्त्री०) वैवाहिक कार्य पद्धति। (जयो०२/३३) * मदार पादप। (जयो० २४/३४) विवाहयोग्यः (पुं०) परिणय योग्य। विवहः (पुं०) [वि+व+अच्] अग्निजिह्वा। विवाहलग्नः (पुं०) विवाह की शुभ बेला। (जयोवृ० १०/५३) विवहनक्रिया (स्त्री०) विवाह क्रिया। (जयो० १४/७) विवाहवीक्षा (स्त्री०) वैवाहिक संस्कार। विवाकः (पुं०) [विशिष्टो वाको यस्य] न्यायधीश, निर्यायक विवाहसमयः (पं०) वैवाहिक काल। (जयो०७० २/३३) विवाहसम्बन्धः (पुं०) वैवाहिक संस्कार, वैवाहिक वीक्षा। विवादः (पुं०) [वि+वद्+घञ्] * प्रतिपक्ष वचन, वार्तालाप। * शास्त्रार्थ, परस्पर विचार विनिमय। (जयो० ७/८३) * कलह, संघर्ष। विवाहित (भू०क०कृ०) परिणित, परिणय किया हुआ, ब्याह * तर्क, चर्चा, वार्ता। हुआ। (वीरो० ११/२९) * आदेश, आज्ञा। विवाह्यः (पुं०) [वि+व+ण्यत्] * जमाई, दूल्हा, कुंवर साब। * विसंवाद। (जयो० १८/६१) विविक्त (भू०क०कृ०) [वि+विच्+क्त] * वियुक्त, पृथक् वि-वादः (पुं०) पक्षी कलरव, खगध्वनि। (जयो०७० १८/६१) किया गया। विवादकारिन् (वि०) विसंवाद युक्त। * अकेला, एकाकी, विवृत्त, विलग्न। विवादगत (वि०) संघर्ष को प्राप्त। * प्रभिन्न, विवेचन। विवाद पदं (नपुं०) कलहस्थान। * पवित्र, निर्दोष। विवादभावः (पुं०) संघर्ष भाव। विविक्तं (नपुं०) एकान्त स्थान। विवादमति (स्त्री०) निर्णायक बुद्धि। * अकेलापन। विवादवस्तु (नपुं०) विचारणीय विषय। विविक्ता (स्त्री०) दुर्भगा, भाग्यहीन स्त्री, असहाय स्त्री। विवादस्थानं (नपुं०) विचार-विमर्श का स्थान। विविग्न (वि०) [विशेषेण विग्नः वि+विज+क्त] अत्यन्त, विवादिन् (वि०) [विवाद-इनि] कलह करने वाला, तर्कप्रिय, व्याकुल, क्षुब्ध। कलकारी। विविध (वि०) [विभिन्ना विधा यस्य] नाना प्रकार का * पक्ष प्रस्तुत करने वाला। ०अनेक प्रकार का। पुरुष। ० ७/८३) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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