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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विप्रलापः ९८६ विबोधः प्रलाप। * निरर्थक बात, विरोध जन्य कथन। विप्रलापः (पुं०) [विशेषेण प्रलयः] विघटन, विनाश, क्षय। * आघात, हानि। विप्रलापिनी (वि०) प्रलाप करने वाली। (जयो० १३/५२) विप्रलुप्त (भू०क०कृ०) [वि+प्र+लुप्+क्त] * अपहत, छीना हुआ। * अपहरण किया गया। * बाधा युक्त, समाप्त किया गया। विप्रलोभिन् (पुं०) [वि+प्र+लुभ+णिच्+णिनि] अशोकवृक्ष, किंकिरात तरु। विप्रवरः (पुं०) पक्षी। (सुद०८१) * ब्राह्मण। (सुद० ५/२) विप्रवासः (पुं०) [वि+प्र+वस्+घञ्] * प्रवासगत, विदेश गया, बाहर जाना। * अपने स्थान से दूर होना। विप्रश्निका (स्त्री०) [विशेषेण प्रश्नो यस्याः] [वि+प्रश्न+नप्-टाप्] प्रश्न करने वाली स्त्री, भाष्यपूर्वक कथन करने वाली स्त्री, ज्योतिषी स्त्री। विप्रहीण (वि०) [वि+प्र+हा+क] वञ्चित, रहित। विप्राणी (स्त्री०) ब्राह्मणी-इत्यतः प्रत्युवाचापि विप्राणी प्राणितार्थिनी। (सुद० ८५) विप्राप्त (वि०) पक्षियों को प्राप्त हुआ। 'विभ्यः पक्षिभ्यः प्राप्तः' (जयो० १८/५०) विप्रिय (वि.) [वि+प्री+क-इयङ] * प्रिय वियोग, प्रिय विछोह। (वीरो० ६/३३) * अरुचिकर, अनिष्टकर। विप्रियं (नपुं०) अपराध, बाधा, रोग, अरुचि। विपुष (स्त्री०) [वि+पृष्+क्विप्] * चिह्न, संकेत, धब्बा बिन्दु। विप्रोषित (भू०क०कृ०) [वि+प्र+वस+क्त] * निर्वासित, देश निकाला प्राप्त। * विसर्जित, अन्यत्र गया हुआ। विप्लवः (पुं०) [वि+प्लु+अप] * विनाश, नाश, क्षति (जयो०वृ०५/२३) (सम्य० ११०) * दूसरे का संयोग। (हित० १७) * हानिकारक-'विप्लवाय भवत्यत्र विजात्योः कर-पीडनम' (हित० २१) * विरोध, वैपरीत्य। * उपद्रव। (जयो० २२/७७) * व्याकुलता, आकुलता। * आपदा, संकट, बाधा। (मुनि० ) * बहना, इधर-उधर घूमना। विप्लववधू (वि०) आपातकालीन लघु नौका। (जयो० २२/७३) विप्लवभूत (वि०) हानिकारक, सन्तापकारी। (जयो०वृ०२६/२५) विप्लवल (वि०) आपदा युक्त। (जयो० ४/६७) क्षोदकर। विप्लावः (पुं०) [वि+प्लु+घञ्] जलप्लावन, बाढ़। * उपद्रव विप्लुत (भू०क०कृ०) [वि+प्लु+क्त] * निमग्न, डुबा हुआ, विध्वस्त, उजड़ा हुआ। * लुप्त, समाप्त। * विरूपित, विपरीत। * अपमानित, अनात। * तिरोहित, ढका हुआ। (हित० ) विफल (वि०) [विगतं फलं यस्य] व्यर्थ, बेकार, अनुपयोगी। निष्फल। (जयो० ११/६१) * प्रभावशून्य, प्रभावरहित। (दयो० २/२६) * निरर्थक। विफलत्व (वि०) विफलता, असफलता। (सुद० १२३) विफलीकृत (वि०) उन्मस्कृत। (जयो०वृ० १२/१३२) विबन्ध (पुं०) [वि+बन्ध+घञ्] * कोष्ट बद्धता। * परकोटा। विबाधा (स्त्री०) [विशिष्टा बाधा] * वेदना, पीड़ा, संताप। * मानसिक व्याधि। विबुद्ध (भू०क०कृ०) [वि+बुध+क्त] * जागृत, सचेत। * चतुर, कुशल, प्रवीण। * जगाया हुआ, उठाया हुआ। बुधः (पुं०) [विशेषेण बुध्यते-बुध नक] * विद्वान् पुरुष। * ब्रह्मा। (जयो० ५/२३) * देवता, देव, सुर। (जयो० १०/१२) * बुद्धिमान्। (जयो० ५/२३) विबुधद्विष् (पुं०) राक्षस, पिशाच। विबुधाधिपतिः (पुं०) इन्द्र। विबुधानः (पुं०) [वि+बुध+शानच्] बुद्धिमान पुरुष। विबुधेन्द्रः (पुं०) इन्द्र। विबोधः (पुं०) [विबुध्+घञ्] * जागरण, जागते रहना। * प्रत्यक्ष ज्ञान। * बुद्धि, प्रतिभा। * सचेत भाव। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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