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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दाशार्ह + इञ ) दाशरथी, राजा दशरथ के पुत्र रामचन्द्र आदि । ८६ दाहिनावर्त्त ---- पु० दे० (सं०) चित्रक पेड़, अग्नि । " सीतल सिख दाहक भइ कैसे - रामा० । दाशार्ह सज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रीकृष्ण जी, दाहकता - संज्ञा, स्रो० (सं०) जलाने का विष्णु, भगवान | दास संज्ञा, ५० (सं०) सेवक, नौकर, चाकर, शूद्र, धीवर एक उपाधि, दस्यु, वृत्रासुर । स्त्री० दासी | संज्ञा, पु० दे० ( हि० डान ) बिछौना । दासता दासत्व -- संज्ञा, स्त्री० (सं० पु० ) सेवकाई, सेवा वृत्ति । दासनन्दिनो - ज्ञा स्त्री० यौ० वती, व्यास जी की माता । दासन दसौना - संज्ञा, पु० दे० (हि० डासन) बिछौना, दसना (ग्रा० ) । (सं० ) सत्य दासपन -संज्ञा, पु० दे० (सं० दासता ) सेवा, सेवकाई दासत्व | दासा -- पज्ञा, पु० दे० (दासी = वेही ) श्राँगन के चारों ओर दीवार से मिला हुआ छोटा चबूतरा । दासानुदास - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सेवकों भाव या गुण, दाहकख । दाश्व – संज्ञा. पु० ( सं० ) दाता, दानशील, दाहकर्म -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मृतक के दानी | जलाने का काम । " दाह - कर्म विधिवत सब कीन्हा - रामा० । " दाह-क्रिया - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मृतक के जलाने का कर्म, मृतक संस्कार । पहि बिधि दाह क्रिया सब कीन्ही " रामा० । दाहजनक - वि० यौ० (सं० ) ज्वालाकर, जलन उत्पन्न करने वाले । का सेवक, तुच्छ. दास । दासवृत्ति संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सेवक की जीविका, नौकरी चाकरी | दासी - संज्ञा, स्त्री० (सं० लौंड़ी, टहलुनी, afrat ।' दीन्हें अमित दाल अरु दासी" - रामा० । दास्तान - संज्ञा स्त्री० ( फ़ा० ) वृत्तांत, किस्सा, हाल, बयान । दास्य - संज्ञा, पु० (सं०) दासत्व, सेवकाई, दासता, भक्ति या उपासना का एक रूप या भाव। कथा, दाह, दाहा. दाहू - संज्ञा, पु० (सं०) जलाने का काम, मुर्दे का जलाना, एक रोग, जलन, शोक, डाह, ईर्ष्या । उर उपजावति दारुन दाहा "- रामा० । (6 दाहक - वि० (सं०) जलाने वाला | संज्ञा, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " " दाह देना - स० क्रि० दे० यौ० (सं० दाह + देना हि० ) जलान!, फूँकना, मृतक को जलाना अन्त्येष्टि संस्कार करना । दाहन - सज्ञा, पु० (सं०) जलाने या फूँकने का काम मृतक संस्कार । दाहना - स० क्रि० दे० (सं० दाह ) जलाना, फूँकना, भस्म करना, दुख देना, चिढ़ाना । देखौ गऊ - पुत्र जिन दाहा " तु० । वि० दे० (सं० दक्षिण ) दाहिना । दाहसर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०, प्रेतवास, श्मशान, मरघट | दाहहरण- संज्ञा, पु० (सं० ) औषधि विशेष, वीरणमूल, खसखस | संज्ञा, पु० ० (सं० ) ताप नाशन । दाहात्मक -- वि० यौ० (सं०) दाह-स्वरूप या दाहप्रद । 0 दाहिन दाहिना - वि० दे० (सं० दक्षिण ) दहिना, दक्षिण, अपसव्य : ( विलो० बाँयाँ ) । मुहा० - दाहिनी देनादक्षिणावर्त्त परिक्रमा करना । दाहिनी लाना - प्रदक्षिणा या परिक्रमा करना । दाहिना हाथ होना - भाई, मित्र, बड़ा सहायक, अनुकूल, प्रसन्न होना । CC खजु भयो विधि दाहिन मोंही " - रामा० । दाहिनावर्त्त - वि० दे० यौ० (सं० दक्षिणावर्त्त ) प्रदक्षिणा, परिक्रमा, दक्षिण या दाहिने को घूमा हुआ । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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