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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झलमलाना ७५२ झांझ भलमलाना-प्र. क्रि० (हि० झलमल )| भहनाना-स० कि० दे० (अनु०) झनकार थोड़ा थोड़ा प्रकाश होना, टिमटिमाना, करना, मनमनाना। झिलमिलाना। झलझलाहट-संज्ञा, स्त्री० (दे०) चमक, महरना-अ० कि० दे० (मनु० ) झर झर शब्द करना, आग की लपट का वायु-वेग झलक, प्रकाश, रोशनी।। से शब्द करना। . झलरा-संज्ञा, पु० दे० (हि. झालर ) एक महराना-अ० कि० ( अनु० ) झर झर पकवान । वि० झबरीला, झालर या जन्म | के बालों वाला बच्चा। शब्द करना, आग की लपट का शब्द,खीझना, चिढ़ना, क्रोधित होना। झलराना-अ.क्रि. (हि० झालर ) चारों ओर फैलकर छा जाना, बालों का बहुत | झाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० छाया) परबढ़ जाना। छाहीं, प्रतिबिंब, झलक, अँधेरा, छल, देह झलवाना-स० क्रि० दे० (हि. झलना का पर काले धब्बे । “जा तन की झाँई परे" प्रे० रूप ) पंखा चलवाना, हिलवाना। -वि० । मुहा०-झाँई' बताना-धोखा भला*-संज्ञा, पु० दे० (हि. झड़ ) देना, चालाकी करना। थोड़ी बरसा झालर, बंदनवार, पंखा, समूह। झांक-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० झांकन) झाँकने झलाभल-वि० दे० ( अनु०) चमकता | का भाव । हुआ, झलकता हुआ। झांकना-अ० क्रि० दे० (सं० अध्यक्ष) प्रोट झलझली-वि० दे० ( अनु० ) चमकदार। या झरोखे या इधर उधर से झुक कर झलाबोर - संज्ञा, पु० दे० (हि. झलमल) देखना । कलबतुन से बना हुश्रा किसी का किनारा, झाँकनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झाँकी) कारचोबी, चमकीला। किसी देवता के दर्शन । झलमला-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० झलझल | झांका-संज्ञा, पु० दे० (हि. झांकना) चमक ) दमक, चमक, झिलमिल । मल्ल-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) पागलपना। झांकी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झाँकना ) झल्ला -संज्ञा, पु० (दे०) बड़ा झौवा, | दर्शन, देखना, दृश्य, झरोखा । “जैसी यह टोकरा, झाबा । (हि० झल्लाना ) पागल, झाँकी तैसी काहू नाहिं झाँकी कहूँ" पद्मा। बक्की । संज्ञा, स्त्री० झल्लाहट। झाँकी-झांका झोंका-अँकी-संज्ञा, पु. भल्लाना-(मल्लना)-अ० क्रि० दे० (हि. यौ० (दे.) ताका ताकी, देखा देखी, झल ) खीझना, चिढ़ना, क्रोध से बकना, आपस में देखना। गप्प मारना। झांख-संज्ञा, पु० (दे०) हिरन का भेद । झष-संज्ञा, पु० (सं०) छोटी मछली। झषकेतु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव । झांखना- क्रि० दे० (हि. झीखना) झषनाथ- संज्ञा, पु० (सं०) बड़ा मच्छ, मगर पश्चाताप करना, पछिताना। यौ० झषपति, झखगज-झषनायक भाखर-संज्ञा, पु० दे० (हि. झंखाड़) काँटे झषराज। दार पेड़ों की सूखी टहनियाँ, दुष्ट, झक्की। भसना-स० क्रि० (दे०) फँसना, ठगना। झांगला-संज्ञा, पु० (दे०) ढीला अंगरखा। भहनना--अ० क्रि० दे० (अनु०) सन्नाटे या मँगा, झांगा ( दे.)। झन्नाटे में थाना, झन झन शब्द होना, | झांझ-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० झन झन से) रोमाँच होना। __ काँसे के गोल गोल चिपटे ढाले हुये दो झरोखा। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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