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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झाँझड़ी झाड़ना टुकड़े जो गाने आदि में बजाये जाते हैं। झांसा-संज्ञा, पु० दे० (सं० अध्यास) धोखा, क्रोध, दुष्टता, पैर का एक गहना। | ठगाई, दगाबाज़ी, बहकावा । यौ० झांसाझाँझड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झाँझन)। पट्टी-धोखा-धड़ी । स० कि. (दे०) पैर का एक गहना । झांझरी (दे०)।। झाँसना। झाँझन-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० ) पैर का झाँसू-वि० दे० (हि० झांसा ) धूर्त, उग, गहना। धोखेबाज़, फुसलाऊ, बिगाड़ । झाँझर - संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) झाँझ, । झा--संज्ञा, पु० दे० (सं० उपाध्याय ) गुजपैर का गहना, चलनी। वि० छेददार, पुराना। राती और मैथिल ब्राह्मणों की पदवी। झाँझरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) पैर का गहना, भाऊ-संज्ञा, पु० दे० (सं० झखुक) एक झाड़। लो. " जहँ गंगा तहँ भाऊ, जहँ ब्राह्मण छेददार, झाँझ बाजा, झरोखे की जाली। तहँ नाऊ' (ग्रा०)। झांझा-संज्ञा, पु० (दे०) लोहे की छेददार भाग-- संज्ञा, पु० दे० (हि. गाज ) जल बड़ी करछी, झींगुर कीड़ा, जो ऊनी, रेशमी का फेन, गाज। कपड़े बरसात में खा लेता है। झागड़ा-संज्ञा, पु० दे० (हि० झगड़ा) माझिया-वि० (दे०) क्रोधी, खिज्जू । लड़ाई, फरसाद। झाँझी- संज्ञा, स्त्री० (दे०) खेल विशेष। । झाझा-संज्ञा, पु० (दे० ) भाँग, गाँजा। संज्ञा, पु० वि० क्रोधी, झगड़ालू । झाड़-संज्ञा, पु० दे० (सं० झाट ) धनी झोप-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मापना) पर्दा, डालियों और पत्तियोंवाला पौधा, काँच झाप, नींद, झपकी। की झाड़ जिसमें रोशनी की जाती है। झाँपना-स० क्रि० दे० (सं० झंप ) ढकना, यौ०-भाड-फानूस-काँच की बनी छिपाना, छोप लेना। झाड़, हाँडी और गिलास । झॉपी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० झाँपना) | झाडखंड - संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. झाड ढाँकने का पात्र, मूंज की पिटारी। +खंड ) वन, जंगल । " झाड़-खंड झीनो झॉपो-संज्ञा, स्त्री० (दे०) छिनाल स्त्री, परो सिंहो चलो बराय"-गिर० । व्यभिचारिणो, धोबिन, पक्षी।। झाझंखाड़- संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि.) भावना--स० क्रि० दे० ( हि० झाँवा ) हाथ | काँटेदार झाड़ियाँ, बे काम वस्तुयें। पाँवों को झाँवाँ से रगड़ना। झाड़दार-वि० (हि. झाड़+फा० दार) झांवरी-वि० दे० (सं० श्यामल ) काला, | बहुत ही घना, बहुत कँटीला। मलिन, धूमला, थोड़ा काला, मुरझाया या झाड़न-संज्ञा, स्रो० दे० (हि. झाड़ना) कुम्हिलाया हुश्रा, ढीला, सुस्त । स्त्री०- कूड़ा कर्कट, वस्तुओं के साफ़ करने का वस्त्र । झांवरी। झाड़ना-स० कि० दे० (सं० शरण या झॉवली-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. छाँव = | शायन ) हटाना, छुड़ाना, भगाना, निका छाया ) आँख का इशारा, कनखी, झलक । लना, अपनी योग्यता प्रगटने के लिये बढ़ झावा- संज्ञा, पु० दे० (सं० झामक ) जली कर बातें करना, बिछौने को साफ़ करने के इंट का छेददार टुकड़ा जिससे पाँव-हाथ | लिये उठा झटकना, झटकारना, फटकारना, को रगड़ कर मैल छुटाते हैं, मँवा (ग्रा०)। किसी से किसी यत्न से धन ले लेना, झांसना-स० कि० दे० (हि. झाँसा ) किसी ऐंठना, झटकना. रोग या प्रेत हटाने को को उगना, धोखा देना। मन्त्र पढ़ कर फूंकना, डाँट या फटकार भा० श० को०-१ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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