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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झमाझम ७५१ झलमला झमाझम-क्रि० वि० दे० अनु०) झम झम गौंख ) जंगलादार छोटी खिड़की, गवाक्ष । शब्द के साथ, प्रकाश युक्त ।। "राम झरोखा बैठि कै सब का मुजरा लेय"। भमाट-संज्ञा, पु० दे० (अनु० ) झुरमुट, झझरा- भरी-संज्ञा, स्त्री० ( दे०) रंडी, संध्या, गोधूली। वेश्या, डफली, खंजली। झमाना-प्र० कि० दे० (अनु० ) छाना, | झल-संज्ञा, पु० दे० (सं० ज्वल = ताप) घेरना, मँवाना। गरमी, जलन, भारी इच्छा, क्रोध, समूह । झमेल-झमेला-संज्ञा, पु० दे० (अनु० झाँव | झलक-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० झल्लिका) झांव) बहुत भीड़-भाड़, झंझट, बखेड़ा, चमक, प्रतिबिंब, दमक । झगड़ा, व्यर्थ का कार्य-भार। झलकदार-वि० दे० (हि. झलक+फा० झमेलिया, झमेली-संज्ञा, पु० (हि० झमेल दार ) चमकीला। +इया, ई - प्रत्य० ) झमेला करने वाला, झलकना-अ० कि० दे० (सं० मल्लिका) झगड़ालू । भर-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) पानी गिरने की दमकना, चमकना, प्रतिविबित होना, थोड़ा प्रगट होना। जगह, झरना, सोता, समूह, झंड, वेग, झलकनि संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० झल्लिका) तेज़ी, झाड़ी। दमक, प्राभा, चमक, प्रतिविब । झरझर--संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) पानी के झलका-- संज्ञा, पु० दे० (सं० ज्वल= बहने, बरसने या हवा के वेग से चलने का जलना) फफोला, फुलका । “ झलका शब्द, झर कर गिरने का भाव । झरन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झरना ) जो झलकहिं पाँयन कैसे "-रामा० । झर कर निकले, झरने की क्रिया। झलकाना-स. क्रि० दे० (हि० झलकना का झरना-अ० क्रि० दे० (सं० क्षरण) झड़ना, प्रे० रूप० ) दमकाना, चमकाना, दरसाना । गिरना । संज्ञा, पु० (दे०) सोता, सोते का " श्रुति कुंडलहू झलकावत हैं"। पानी, छन्ना, झन्ना (ग्रा.)। झलझल-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० झलकना) झरप-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० ) झोंका, चमक, दमक, झलाझल । झकोरा, परदा, झड़प। झलझलाना-स० क्रि० दे० (अनु०) चमभरपना-अ० कि० दे० ( अनु०) बौछार | कना, चमकाना, चमचमाना, छलकना, होना, झोंका देना, झड़पना। (आँसू) तनिक दिखाई पड़ना। झरहरना-अ० कि० दे० (अनु० ) झर झर | झलझलाहट-संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) दमक, शब्द करना। चमक, भलकना, आभासित होना। झरहरा-वि० (दे०) झंझरा । झलना-स० क्रि० दे० (हि. झलझल = झरहराना-अ.क्रि० दे० ( अनु०) हवा हीलना ) पंखा हिलाना. इधर उधर हिलना, के कारण पत्तों का शब्द करना, झटकना, | अपनी शेखी बघारना, अपनी बड़ाई करना, झाड़ना। डींग हाँकना ( मारना )। झराझर-क्रि० वि० दे० ( अनु० ) झर झर | झलमल-संज्ञा, पु० (सं० ज्वल =दीप्ति) शब्द के साथ, वेग से, एक चाल । थोड़ा थोड़ा प्रकाश, चमक, दमक । झरी-झही-संज्ञा, स्त्री० (हि. झरना) पानी | झलमला-वि० (हि. झलमलाना) चम की झड़ी, बाजारों में सौदे पर कर, महसूल।। कीला, झिलमिला।" झिलमिला सा हो झरोखा-संज्ञा, पु० दे० (अनु० झर झर+ । गया था शाम का"। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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