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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ज़बरदस्त ७१२ ज़बरदस्त - वि० ( फ़ा० ) बलवान, मज़. बूत, दृढ़ | संज्ञा, स्त्री० ज़बरदस्ती । ज़बरदस्ती - संज्ञा, स्त्री० (का० ) अत्याचार, सीनाजोरी, ज़ियादती क्रि० वि० बलात् ज़बरन - क्रि० वि० दे० (का० जनन) बलात्, ज़बरदस्ती, बल पूर्वक, हठात् । जबरा - वि० दे० ( हि० जबर ) बलवान, बली । -- लो० " ज़बरा मारै गेवै न देय" । संज्ञा, पु० दे० ( अं० जेवरा ) गदहे से कुछ बड़ा एक सुन्दर जङ्गली जानवर । ज़बह -संज्ञा, पु० ( ० ) गला काट कर प्राण लेने की क्रिया, हिंसा । जबहा - संज्ञा, ५० दे० ( हि० जीव ) जीवट. साहस । ज़बान -संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) जीभ, जिह्वा । मुहा० - ज़वान खींचना -- धृष्टव्य पूर्ण बातें करने के लिये कठोर दण्ड देना । ज़बान खुलना - बोलने में लिहाज़ न रहना, दृष्ट हो जाना । ज़बान पकड़नाबोलने न देना, कहने से रोकना । जबान बंद रखना, ज़बान पर ताला लगाना( कुल्लित व्यर्थ ) न बोलना | ज़वान चलना (नाना ) - बद बढ़ कर बोलना, कुत्सित बोलना, गाली बकना । जवान पर आना -मुँह से निकलना । ज़बान बन्द होना ( करना ) - बोल न सकना, बोलने न देना । जुबान पर लगाम न होनासोच-समझ कर बोलने के अयोग्य होना, बिना सोचे मनमाना बकना । दो ज़बान होना- झूठ-सच सब बोलना | ज़बान हिलाना -मुँह से शब्द निकालना । ज़बान का ठीक में हाना -बात का विश्वास न होना । (दवी ) ज़वान से बोलना ( कहना ) - स्पट रूप से बोलना, भय से साफ़ २ न कहना, आधीन होना । ज़बान साफ़ ( ठोक ) दुरुस्त न होना - शुद्ध और स्पष्ट न बोल सकना, बरज़वान - ( होना) कंठस्थ उपस्थित | जमघट - जमघटा, जमघट्ट लम्बी ज़ब न रखना (ज़बान गिरना ) - खाने का लालची होना । वे ज़बान - बहुत सीधा, बे उज्र । जवान को अपने काबू में रखना -सोच कर बोलना, कुल्लित न बकना, कुपथ्य न खाना । जवान खोलना - कुछ ( बुरा भला कहना, बात, बोल, प्रतिज्ञा, वादा, कौल, भाषा, बोली । यौ० मादरी जवान मातृ-भाषा । ज़बानदराज़ - वि० यौ० (का० ) ता पूर्वक अनुचित बातें करने वाला | संज्ञा, स्त्री० ज़बान दराज़ी । जवानी - वि० ( हि० जुबान ) केवल ज़बान से कहा जाय किया न जाय, मौखिक, जो लिखित न हो मुँह से कहा हुआ, स्मरण, कंठस्थ | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जबाला - संज्ञा, स्त्री० (सं०) नाबाल ऋषि की माता, जो एक दासी थी । ज़बून - वि० ( तु० ) बुरा, ख़राब । ज़क्त - संज्ञा, पु० ( ० ) किसी अपराध में राज्य द्वारा हरण किया, सरकार से छीना या अपनाया हुआ | संज्ञा, खो० जन्ता । जब संज्ञा, पु० ( ० ) ज्यादती, सख़्ती । क्रि० वि० (अ० ) जवन । जभाँना - अ० क्रि० (दे०) जमुहाना, निद्रालु होना | संज्ञा, स्त्री० (३०) जभाँई, जम्हाई । जभी - क्रि० वि० ( हि० जब + ही ) जबही । जम जमराज - संज्ञा, ० ( दे० ) यमराज । यौ० जमदूत - यम के दूत । जमकना - अ० क्रि० दे० ( हि० जमना) जम जाना, बैठना, सख़्त होना । (प्रे० रूप) जसकाना, जमकवाना जमकात जमकातरां - संज्ञा, ५० दे० ( सं० यम + कातर हि० ) पानी का भँवर । संज्ञा, खो० दे० (सं० यम + कत्तरी ) यम का बुरा वा खाँड़ा, खाँड़ । जमघंट - संज्ञा, ५० यौ० (दे०) यमघंट | जमघट - जमघटा, जमघट्ट संज्ञा, पु० दे० For Private and Personal Use Only -
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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