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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खवासी "" अ०, "कहि खवास को सैन दै सूत्रे० । खवासी - संज्ञा, स्त्री० ( हि० खवास + ईप्रत्य० ) चाकरी, ख़िदमतगारी, हाथी या गाड़ो के खवास के बैठने का पीछे स्थान । खवैया - सा. पु० ( हि० खाना : वैया खाने वाला । प्रत्य० ५२८ खश खस-संज्ञा, पु० ( सं० ) गढ़वाल और उसके उत्तरवर्ती प्रदेश का प्राचीन नाम, इसी प्रदेश की एक जाति | संज्ञा, स्त्री० ( फा० खस ) गाँडर घास की सुगंधित जड़, उशीर | खसकंत - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० खसकन + अंत प्रत्य० ) खसकना । | खसकना - भ० क्रि० ( अनु० ) सरकना, हटना, चुपके से चला जाना, धीरे धीरे फिसलन | | खसकाना–स० क्रि० ( हि० खसकना) हटाना, गुप्त रूप से कोई चीज़ हटा देना, खसटा - सज्ञा, पु० ( दे० ) खाज, खुजली । खसना - थ० क्रि० ( हि० खसकना ) खसकना, हटना, गिरना । खाँग ख़सलत-संज्ञा, स्त्री० ( ० ) धादत, स्वभाव | खसाना - स० क्रि० ( हि० खसना ) गिराना, फ़ेंकना, ढकेना । मुकुट खसेत सगुन " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -रामा० । ताही " खसिया - वि० दे० ( श्र० खुस्सी ) बधिया, नपुंसक, हिजड़ा, बकरा । खसी - संज्ञा, पु० दे० ( स्त्री० सा० भू० ( हि० खसना ) गिरी, ० खुस्सी) बकरा | " खली माल मूरति मुसकानी" रामा० । खसीस - वि० ( ० ) कंजूस, सूम | संज्ञा, स्त्री० खसीसी । खसोट - संज्ञा, स्त्री० ( हि० खसोटना ) बुरी तरह नोचने की क्रिया, उचकने या छीनने की क्रिया । यौ० - नोन-खसोट । खसोटना स० क्रि० दे० (सं० कृष्ट ) उखाड़ना, नोचना, छीनना, लूटना । खसोटी संज्ञा स्त्री० (दे० ) खसोट, कफन -खसोटी माँहि जात " -- हरि० । " सरकाना । खसखस – संज्ञा, पु० ( सं० खसखस ) पोस्ते का दाना, खसखास (दे० ) । सूर्य-मणि । खसखसा - वि० (अनु० ) भुरभुरा । वि० ( हि० खसखस ) अति लघु ( बाल ) 1 खस्वस्तिक - संज्ञा, पु० (सं० ) ( श्राकाश में कल्पित शीर्ष विन्दु ( विलो० - पद खसखाना - संज्ञा, पु० ० ( फ़ा० ) कीटट्टियों से घिरा स्थान । वि.दु ) | खसाखसी - वि० ( हि० खसखस ) पोस्ते खस्सी - संज्ञा, पु० ( अ० ) बकरा । वि० के रंग का, नीलिमा-युक्त श्वेत । ( अ० ) बधिया, हिजड़ा । खस खस्फटिक -संज्ञा पुं० ( दे०) काँच, ख़स्ता - वि० दे० ( फ़ा० खुस्तः ) भुरभुरा । " खहर संज्ञा, पु० (सं० ) शून्य हर वालो राशि ( गणि० ) । खां - संज्ञा, पु० देखो, ख़ान । बिरल बुनावट का, खोखला, भीना । स्त्री० खांखरी । ख़सम - संज्ञा, पु० ( ० ) पति, ख़्वाबिंद, खाँखर - वि० दे० ( हि० खांख ) छेददार, स्वामी, भर्ता 1 ख़सरा - संज्ञा, पु० ( प्र० ) पटवारियों का एक काग़ज जिसमें प्रत्येक खेत का नम्बर, रकबा यादि लिखा रहता है, हिसाब-किताब का कच्चा चिट्ठा। संज्ञा, पु० ( फ़ा० ख़ारिश ) खुजली, खाज । खॉग - संज्ञा, पु० दे० ( सं० खड़ - प्रा० खग्ग ) काँटा, कंटक, तीतर, मुर्ग, धादि के पैर का काँटा, गैंडे के मुँह का सींग, जंगली सुधर का दाँत । संज्ञा खो० ( हि० खगना ) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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