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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - कुरसीनामा ४७८ कुरूपता मु०-कुरसी पाना-पद, अधिकार या सब "......, " तेइसत बोहित कुरीसम्मान पाना । कुरसी देना-आदर चलाये "-५० । करना। कुरीति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बुरी रीति, कुरसीनामा--संज्ञा, पु० (फ़ा०) लिखी हुई कुचाल, कुप्रथा। वंश-परंपरा, शज़रा, पुश्तनामा, वंश-वृक्ष । कुरीर-संज्ञा पु० (सं० ) मठी, मैथुन । कुरा-संज्ञा, पु० दे० (अ० कुरह) पुराने कुरु-संज्ञा, पु० (सं० ) वैदिक आर्यों का जखम की गाँठ । संज्ञा, पु० (सं० कुरव) एक कुल, हिमालय के उत्तर और दक्षिण कटसरैया। का एक प्रदेश, एक सोमवंशीय राजा जिससे कुराइ8--संज्ञा, स्त्री० (दे०) कुराय, कुराह । कुराई-संज्ञा, स्त्री० ( दे.) रास्ते के गड्ढे, कौरव (वृतराष्ट्र) और पांडु हुये थे, कुरुवंशीय पुरुष, भरत, कर्ता, पृथ्वी के ६ खंडों में से कुराय, कुराह, ऊँची नीची भूमि । “कुस एक । यो. कुरुकेतु-संज्ञा, पु० (सं० ) कंटक काँकरी कुराई "--रामा०। दुर्योधन, युधिष्ठिर, परीक्षित । कुरुक्षेत्रकुरान - संज्ञा, पु० (अ.) अरबी भाषा में संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दिल्ली के प्रासपास मुसलमानों का एक धर्म-ग्रंथ । कुराय-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. कु+राह ) ( अंबाला और दिल्ली के बीच ) का मैदान, जहाँ महाभारत का युद्ध हुआ था, पानी से पोली भूमि का गड्ढा । पु०- | यहाँ इसी नाम की एक झील है जहाँ कुंभ बुरा राजा। का मेला होता है, एक तीर्थ, सरस्वती के कुराह-संज्ञा, स्त्री. (हि. कु-+-राह-फा०) कुमार्ग, बुरी चाल, खोटा आचरण । वि. दक्षिण और दृषद्वती नदी के उत्तर का प्रान्त । कुरुवंश-यो० (सं०) राजा कुराही-कुमार्गी, बदचलन । संज्ञा, स्त्री० (कुराह + ई-प्रत्य०) बदचलनी, दुराचार । कुरु का कुल । कुराहर-संज्ञा, पु० (दे०) कोलाहल । | कुरुई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कॅडव ) बाँस “काग कुराहर करि सुख पावा -५०।। और मूंज की एक छोटी डलिया, मौनी । कुरिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कटी) घास वि० स्त्री० करुई ( दे० ) तिक्त, कटु। फूस की झोपड़ी, कुटी, कुटिया (दे०), अति | कुरुखेत-संज्ञा, पु० (दे०) कुरुक्षेत्र (सं.)। छोग गाँव । कुरुख-वि० दे० ( हि० कु+रुख-फा०) कुरियाल—संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कल्लोल) अप्रसन्न चेहरे या बदन वाला, नाराज़ । चिड़ियों का मौज में बैठकर पंख खुजलाना। | कुरुजांगल—संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँचाल मु०-कुरियाल में आना---(चिड़ियों | देश के पश्चिम का देश । का) श्रानन्द या मौज में श्राना। कुरुचि-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बुरी रुचि, कुरिहार—संज्ञा, पु० दे० (सं० कोलाहल ) । ( विलो०-सुरुचि )। शोर । "को नहिं करै केलि-करिहारा"- कुरुबक-संज्ञा, पु० (सं० ) एक वनस्पति । प० । वि० कुटीवाला। कुरुम -संज्ञा, पु० ( दे० ) कूर्म (सं० ) कुरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० कुरा ) मिट्टी | कछुआ, कुरम (दे०)। का छोटा धुस या टीला । संज्ञा, स्त्री० (सं० | कुरुविंद-संज्ञा, पु० ( सं० ) मोथा, उरद, कुल ) वंश, घराना, राशि । संज्ञा, स्त्री० । दर्पण, काच, लवण । ( हि० कूरा ) खंड, टुकड़ा। | कुरूप---वि० (सं०) बदसूरत, बेढंगा, भद्दा । यौ० मु०-कुरी कुरी होना-खंड खंड | स्त्री० कुरूपा । होना, फूट-फैल जाना । “ अस्सी कुरी नाग कुरूपता संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) बदसूरती। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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