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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुरेदना ४७६ कुलक्षण कुरेदना-स० क्रि० दे० (सं० कर्तन) खुरचना, कुलंग-संज्ञा, पु० (फा० ) लाल सिर और खोदना, करोदना, ढेर को इधर-उधर मट-मैले रंग के शरीर वाला एक पक्षी, चलाना, फैलाना। मुगा। कुरेर -संज्ञा, स्त्री. (दे०), कुलेल- कुलंजन-संज्ञा, पु० (सं० ) अदरक का कल्लोल (सं०) क्रीड़ा, कलोल । सा एक पौधा जिसकी जड़ गरम, दीपन कुरेलना--स० क्रि० (दे० ) कुरेदना, और स्वर-शोधक होती है, पान की जड़, खोदना । संज्ञा, पु० (दे० ) राशि, ढेर। कुलींजन (दे० )। कुरैना-स० क्रि० (दे०) डालना, ढेर | कुल-संज्ञा, पु. ( सं० ) वंश, घराना, लगाना, कुरौना (दे०)। जाति, गोत्र, समूह, झुण्ड, घर, वाममार्ग, कुरैया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुटज) इंद्रयव कौल-धर्म, व्यापारियों का संघ । वि. का जंगली पौधा जिसके फूल सुन्दर होते हैं। (अ.) समस्त, सब, सारा (७०)। कुरोना - स० कि० दे० (हि० कूरा = ढेर ) यौ०-कुलजमा-सब मिलाकर, केवल, कूरा या ढेर लगाना। मात्र । कुर्क-वि० (तु. कुक) जन्त, कुरुक (दे०)। कुलकना-अ. कि० ( हि० किलकना) . कुर्कअमीन-संज्ञा, पु. (तु० कुर्क ---अमीन | प्रसन्न या खुश होना, मोद से उछलना। -फा० ) अदालत के आज्ञानुसार किसी कुल-कंटक -संज्ञा, पु० यो० (सं०) कुपुत्र । अपराधी की जायदाद की कुर्की करने वाला कुल-कन्या—संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) सरकारी कर्मचारी, कुरूकमीन ( दे०)। कुलीन या अच्छे घर की लड़की, (द्वंद्व कुर्की-संज्ञा, स्त्री० (तु० कुर्क --ई-प्रत्य०) समास ) वंश और कन्या, कुलीन-कन्या । किसी अपराधी के जुरमाने या कर्ज़दार के कुल-कर्म-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुलाचार, कर्ज़ के लिये उसकी जायदाद का सरकार कुल क्रिया, वंश-परम्परा । कुल-धर्म । द्वारा जब्त करने की क्रिया। कुल-कलंक-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) कुलकुर्कुट-संज्ञा, पु० ( दे०) कुरकुटा, टुकड़ा कीर्ति में दाग़ लगाने वाला । "कुल-कलंक कूड़ा-करकट । तेहि पामर जाना"-रामा० । कुकुटी-संज्ञा, पु० (सं० ) सेमर वृक्ष ।। कुल-कानि-संज्ञा, स्त्री० (सं० कुल+ कानि कुछल-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) कुलाँच, = मर्यादा ) कुल या वंश की मर्यादा, कुल चौकड़ी, कुदान, उछाल । की लज्जा या प्रतिष्ठा। कुर्बा-कु-बा-संज्ञा, पु० (दे०) कूब, | कुलकुलाना-अ. कि० ( अनु० ) कुल कुल शब्द करना। मुहा०—ाँत कुल कुर्मी · संज्ञा, पु० (दे० ) कुरमी, कुनवी कुलाना- भूख लगना। (दे०)। कुलकुला-संज्ञा, पु. ( दे० ) कुल्ला, कुर्मक-संज्ञा, पु० (दे०) सुपारी। गंडूष । कुर्याला-संज्ञा, पु० (दे० ) श्राराम, सुख। कुलकुली—संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) कुल्ली, मुहा०-कुर्याल में गुलेल लगाना- चुलबुली, खुजली। निराश होना, सुख में दुःख होना। कुलक्षण-संज्ञा, पु० (सं०) बुरा लक्षण, कुर्रा ( कुरी)-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) हेंगा, | कुचाल, कुलच्छन । वि० (सं०) दुराचारी, बुरे सुहागा, कुरकुरी हड्डी, कुर्रा-- गोल | लक्षण वाला । स्त्री. कुलक्षणा, कुलक्षणी टिकिया। कुलच्छनी (दे०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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