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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुरमणि सुरमणि - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव-मणि चिंतामणि, सुरमनि (दे० ) । सुरमा - संज्ञा. पु० दे० ( फा० सुरमः) एक नीले रंग का खनिज पदार्थ जिसका चूर्ण थाँखों में लगाया जाता है । १७३८ सुर-सुंदरी | सुरश्रेष्ठ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवताओं में श्रेष्ठ-विष्णु, शिव, ब्रह्मा, इन्द्र, सुरोत्तम । सुरस - वि० (सं०) रसीला, सुस्वाद, स्वादिष्ट, अच्छे रसका, मधुर, सरस | संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वरस ) गीली औषधि का निकाला हुआ रस | सुरमादानी - संज्ञा स्त्री० दे० ( फा० सुरम: + दान - प्रत्य) सुरमा रखने का शीशी जैसा एक पात्र, सुरमेदानी | सुरमै – वि० दे० (का० सुरमई) सुरमई । सुरमौर सुरमौरि - संज्ञा, पु० दे० चौ० (सं० सुर+मौलि, मौर-हि०) विष्णु । सुरम्य - वि० (सं०) सुरमणीक, श्रति मनोरम, अति सुन्दर, अत्यंत सुशोभित । " अति सुरम्य जहाँ जनक -निवासा " - रामा० । संज्ञा, स्त्री० - सुरम्यता । सुर-राइ, सुर-राई* – संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० मुरराज ) देवराज, विष्णु, इन्द्र । सुर-राउ, सुर-राऊ - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सुरराज) सुरराज, विष्णु, इन्द्र । सुर- राज - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवराज, विष्णु, इन्द्र सुर-राय, सुर-राव* -- संज्ञा, ५० दे० यौ० (सं० सुरराज ) देवराज, सुर राज, विष्णु, इन्द्र । सुर-रिपु-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) दैस्य, दानव, राक्षस, असुर, सुरारि, देवारि । सुर-रूख - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सुररूक्ष) सुर-तरु, कल्पवृक्ष । सुर-लतिका, सुर- लता - संज्ञा, त्री० यौ० (सं०) देव लता, कल्पलता ! सुरली -- पंज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सु + रलो- हि०) सुन्दर खेल या क्रीड़ा | सुर लोक - संज्ञा, पु० (सं०) देवलोक, स्वर्ग । सुर-वल्ली, सुर-वल्लरी - संज्ञा, त्र ० यौ० (सं०) कल्पलता, सुर-वृतती । सुर वधू - संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) देवांगना, सुर-वधूटी । सुरवृत्त - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुर-तरु, कल्पतरु, कल्पवृक्ष, सुर-पादप । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसती-सूरसती-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सरस्वती) सरस्वती, वाणी, शारदा, गिरा, सरसुती (दे० ) । सुर-सदन, सुर- सद्म – संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवलोक, स्वर्ग, देवालय, देव मंदिर | सुर-सर- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव-ताल, मानसरोवर | संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सुरसरी) देवसरी, गंगा जी, सुरसरि । सरसरसता - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सरयु - नदी, घाघरा । सुरसरि, सुरसरी - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( सुरसरित्) देवनदी गंगा जी, गोदावरी । 'सुनि सुरसरि उत्पति रघुराई" - रामा० । सुरसरित, सुरसरिता-संज्ञा, स्रो० यौ० (सं०) देवनदी गंगा जी । सुरमा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) हनुमान जी को सिन्धु लांघने में रोकने वाली एक नाग-माता, ( रामा० ) एक अप्सरा । "सुरमा नाम श्रहिन की माता " -- रामा० । ब्राह्मीबूटी, तुलसी, दुर्गा जी, एक छंद या वृत्त (पिं० ) । सुर-साई -संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं०सुरस्वामी) इन्द्र जी, विष्णु, शिव जी, सुर-सैंया (दे०) । सुरसारी* - संज्ञा, स्रो० ६० (सं० सुरसरी) देवनदी गंगा जी । सुरसाल-सुरसालु -- वि० दे० यौ० (सं० सुर + सालना - हि०) देव पीड़क, देन शत्रु, देवताओं का सताने वाला, सुरारि । सुर-साहव, सुर साहिब, सुर-साहेबसंज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सुर + साहिब प्र०) देवनाथ, देवराज, इन्द्र, विष्णु, शिव । सुर सुंदरी - संज्ञा स्त्री० यौ० (सं०) देवांगना, देवी, अप्सरा, दुर्गा, देवकन्या, एक योगिनी । "गावहिं नावहिं सुर सुंदरी " - रामा० । - For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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