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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MPOR. सुर-सुरभी १७६६ सुराही सुर-सुरभी-संज्ञा, स्त्री० यौ०(सं०) कामधेनु । सुराज्य ) अच्छा राज्य । संज्ञा, पु० दे० (सं० सुरसुराना-प्र० के० दे० (अनु०) शरीर स्वराज्य , अपना या निज का राज्य । संज्ञा, पर कीड़े आदि के रेंगने से उत्पन्न खुजली, । पु०-सुराजा, अच्छा राजा । “जिमि सुराज खुजली होना । संज्ञा, स्त्री० --सुरसुराहट, । लहि प्रजा सुखारी"। "बढे प्रजा जिमि पाइ सुरसुरी। सुराजा''-रामा । सुर-सैंया -संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सुर-सुराज्य-संज्ञा, पु. (सं०) सुख-शांति पूर्ण, स्वामी) देवनाथ, इन्द्र, विष्णु, शिव। सुन्दर राज्य । संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वराज्य ) सुर-स्वामी- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देवनाथ, प्रजा-तंत्र या अपना राज्य । सुराधिप, सुराधीश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सुरहना-अ. क्रि० (दे०) भर पाना। इन्द्र, देव राज, सुरपति, सुराधीश्वर । "सुरहो घाव देह बल प्रायो'-छत्र० सुरानीक--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव सेना । सुरहरा-वि० (अनु०) सुर सुर शब्द करने सुराप, सरापी-वि० (सं०) मदिरा या वाला, जिसमें सुर सुर शब्द हो। शराब पीने वाला। सरही-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० सरभी) सुरापगा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देव नदी, सुरभी, कामधेनु । संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि... गंगा जी, देवाएगा। सोलह ) जुश्रा खेलने को चित्तीदार सोलह । सुरा-पात्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मदिरा पीने या रखने का बरतन। कौड़ियाँ, इनसे खेला जाने वाला जुमा का सरा-पान--संज्ञा, पु. यो० (सं०) मदिरा खेल, सोलही, सारही। पीना, महा-पान । सरांगना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवांगना, सुगरि. सुरारी (दे०)-संज्ञा, पु० यौ० देव पली, अपरा! “सुरांगना-गोपित चाप | (सं० सुरारि। सुराशत्रु देवारि, असुर, राक्षस । गोपुरम्"-किरा। "मूद न जानसि मोहिं सुरारी"-रामा० । सुरा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मधु, मदिरा, शराब, सुरालय-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बैकुण्ठ, मद्य, वारुणी । 'सुरा-पान करि रहसि स्वर्ग, मंदिन, देव-भवन, देव-लोक, सुमेरु, सुखारी"--स्फु। देवालय, मधुशाला, शराबखाना (सं० सुराई* --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शूरता )। सुरा+भालय )। शूरता, बीरता, बहादुरी, सुरत्व । "हम रे सुरावती--- संज्ञा, स्त्री० ( सं० सुरातानि ) देवकुल इन पै न सुराई "-रामा० । माता, अदिति, ( कश्यप-पत्नी)। सुराख-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० सूराख ) सुराष्ट्र--संज्ञा, पु० (सं०) सुन्दर राष्ट्र, एक बिल, छिद्र, छेद । संज्ञा, पु० दे० (अ० सुराग़) देश या राज्य (काठियावाड़ या सूरत, मतांखोज, टोह, पता। तर से)। सुराग-संज्ञा, पु. ( सं० सु+ राग ) अति सुरासुर-ज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव-दैत्य, प्रेम, अति अनुराग। (दे०) सुन्दर राग, देवासुर देवदानव, सुर और असुर । " चहै (संगीत)। संज्ञा, पु० दे० ( अ० सुराग) सुरासुर जुएँ जुझारा"-रामा०। पता, खोज। सुरासुर-गुरु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिवजी, स्मरा-गाय-- संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० सुर- कश्यप मुनि ।। गो) एक प्रकार की दो नस्ल वाली गाय सुराही-संक्षा, स्त्री० (अ०) पानी रखने का जिसकी झवरीली पूछ से चँवर बनाते हैं। बरतन, जोशन, बाजू आदि में लगाने की सुराज, सुराजा-संज्ञा, पु० दे० (सं०. सुराही के आकार की वस्तु । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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