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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौहान-वंश। पृथ्वीराजरासामें लिखा है:" शहाबुद्दीन गोरी पृथ्वीराजको कैदकर गजनी ले गया और उसकी आँखें फुड़वा कर उसने उसे कैद कर रक्खा । कुछ दिन बाद चंदबरदाईने वहाँ पहुँच सुलतानसे पृथ्वीराजके धनुर्विद्या-ज्ञानकी प्रशंसा की और उसे उस ( पृथ्वीराज ) की तीरंदाजीकी जाँच करनेको उद्यत किया। इस अवसरपर पृथ्वीराजने चंदके संकेतसे ऐसा निशाना साधा कि तीर सुलतानके तालुमें जा लगा और सुलतान मर गया। उसी समय चंद एक छुरा लेकर पृथ्वीराजके पास पहुंचा और उन दोनोंने उसीसे अपना अपना गला काट लिया । इस प्रकार वि० सं० ११५८ की माघ शुक्ला ५ को पृथ्वीराजने इस असार संसारसे प्रयाण किया।" __उपर्युक्त तवारीखोंके लेखोंपर विचार करनेसे स्पष्ट प्रतीत होता है कि पृथ्वीराज वि० सं० १२४९ में भारतमें ही मारा गया था और शहाबुद्दीन हि० स० ६०२ ( वि० सं० १२६३) में शअबान मासकी २ तारीख-तदनुसार ई० स० १२०६ की १४ मार्च-को लाहोरसे गजनी जाता हुआ मार्गमें गवखरों द्वारा मारा गया था। अतः पृथ्वीराजरासाके उक्त लेखपर विश्वास नहीं हो सकता। . इसने ( पृथ्वीराजने) स्वयंवरमें कन्नौजके राजा जयचन्द्रकी कन्या संयोगिताका हरण किया था । इसीलिये कन्नौजके गहरवालों और गुजरातके सोलंकियोंने मिलकर शाहबुद्दीन गोरीको इससे लड़नेको उभारा था। इसने छःबार शहाबुद्दीनको हराया था और दो बार उसे कैद करके भी छोड़ दिया था। पृथ्वीराज भारतका अन्तिम राजा था । यह बड़ा वीर और पराक्रमी था; परन्तु भारतीय नरेशोंके आपसके ईर्ष्या और द्वेषके कारण इसके (१) Transactions of the Reyal As. Soc. of Gre, Bri. & Irdland. Vol. I, p. 147-8. २५९ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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