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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पड़ोसी राज्य । ने बारहवें राजा गाङ्गेयदेवको हराया था। गाङ्गेयदेवके पुत्र कर्णने भोजसे सुवर्णकी एक पालकी प्राप्त की थी। अन्तमें गुजरातके भीमदेव (प्रथम) से मिल कर उसने भोजपर चढ़ाई की । उस समय ज्वरसे भोजकी मृत्यु हो गई। इसके कुछ वर्ष बाद भोजके कुटुम्बी उदयादित्यने उसे हराया । इसी वंशके पन्द्रहवें राजा गयकर्णदेवने उदयादित्यकी पोती आल्हणदेवीसे विवाह किया था। चन्देल-राज्य। नवी सदीमें जेजाहुती (बुन्देलखण्ड) के चन्देलोंका प्रताप बढ़ा । परन्तु परमारोंका इनके साथ बहुत कम सम्बन्ध रहा है। कहा जाता है कि भोज (प्रथम), चन्देल विद्याधरसे डरता था तथा चन्देल यशोवर्मा मालवेवालोंके लिए यमस्वरूप था । धङ्गदेवके समयमें चन्देलराज्य मालवेकी सीमातक पहुँच गया था। अन्य राज्य । परमारोंसे सम्बन्ध रखनेवाले अन्य राज्योंमें एक तो काश्मीर है। वहाँपर राजा भोज (प्रथम) ने पापसूदन तीर्थ बनवाया था। उसीका जल वह काँचके घड़ोंमें भरकर मँगवाता था । दूसरा शाकम्भरी (साँभर) के चहुआनोंका राज्य है। कहा जाता है कि भोजने चहुआन वीर्यरामको मारा था। (१) Ep. ind, Vol. I, P. 121, 217; II, p, 232.(२) Ep. Ind.,. Vol. II, p. 116. १७३ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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