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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१९४) भारत-भैषज्य रत्नाकर मिलाकर पीना चाहिये एवं अण्ड कोशोंको कपड़ेसे :- कालीयकं जलदकर्कटचन्दनश्रीबांध रखना चाहिए। ___ोत्याः फलं सविकस सह कुक्कमेन । [५८१] एरण्डादितैलम् (वृ. नि. र. । विस.) स्पृहातुरुष्कलघुलम्भतया विनीय एरण्डतुंवीकटुनिंबचक्रमोत्थ तैलं बलाक्कथनदुग्धदधिप्रपक्वम् ।। बीजानि च सोमराजी। मन्दानलेन हितमेतदुदाहरन्ति अङ्कोल्लवीजानि समानिकृत्वा वातामयेषु बलवर्णहुताशकारी ॥ पातालयन्त्रेण सुतैलमेतत् ॥ इलायची, मुरामांसी, चीड़, भूरि छरीला, प्रगृह्य तेनाथ विमर्थयेच्च देवदारु, रेणुका, चोरपुष्पी, कपूर कचरी, जटाविसर्पकादीन्विहन्ति सद्यः॥ मांसी, चम्पा, नागकेसर, प्रन्थिपणी, गन्ध रस अरण्डके बीज, कडवी तोरीके बीज, निबौली, | (खून खराबा--दम्मुलअखवायन) खट्टासी (जुन्दपवाड़के बीज, बावची और अंकोल । सब चीजें | वेदस्तर), तेजपात, भिस, चन्दन, कुन्दर, नख, समान भाग लेकर पाताल यन्त्र द्वारा तैल निकाले। सुगन्धवाला, लौंग, कूठ, काला अगर, नागरमोथा, इस तेलकी मालिशसे विसर्प आदि अत्यंत | ककोड़ा, श्वेत चन्दन, ऋद्धि, जायफल, मजीठ, शीघ्र नष्ट होते हैं। | केसर, स्पृक्का (लजालु), शिलारस और पीली [५८२] एलादितैलयोगम् (यो. र. । वा. व्या.) | खस । इनके कल्क तथा खटीके क्वाथ, दूध और एलामुरासरलशैलजदारुकौन्ती | दहीके साथ मन्दाग्निपर तिल तैल सिद्ध करें ।* चण्डाशटीनलदचम्पकहेमपुष्पम् । यह तैल वात व्याधि नाशक, एवं बल वर्ण स्थोणेयगन्धरसपूतिदलामृणाल और अग्निकारक है। श्रीवासकुन्दुरुनखाम्बुलवङ्गकृष्ठम् ॥ * तेल पाक विधि पृष्ठ ६३ में देखिये। अथ एकाराद्यरिष्टचूर्णप्रकरणम् [५८३] पलाधरिष्टः ( भै. र. । परि.) चातुर्जातं त्रिकटुकं चन्दनं रक्तचन्दनम् ।। पञ्चाशत्पलमेलाया वसायाः पलविंशतिम्। | मांसीं मुरां मुस्तकं च शैलेय शारिवाद्वयम् । मञ्जिष्ठां कुटजं दन्ती गुडूची रजनीद्वयम् ।। पलप्रमाणतधात्र क्षिप्त्वा मासं निधापयेत् ।। रास्नामुशीरं मधुकं शिरीषं खदिरार्जुनौ। एलाधरिष्टो हन्त्येष विसपोश्च ममरिकाम् । भूनिम्वनिम्बवहींश्च कुष्ठं मधुरिका तथा ॥ | रोमान्तिकां शीतपित्तं विस्फोटं विषमज्वरम् ॥ गृहीत्वा दिपलोन्मित्या जलद्रोणाष्टके पचेत् । नाडीव्रणं वणं दुष्टं कासं श्वासं च दारुणम् । द्रोणशेपे कपाये च पूते शीते विनिक्षिपेत् ॥ भगन्दरोपदंशौ च प्रमेहपिडिकास्तथा ॥ धातक्याः पोडशपलं माक्षिकस्य तुलात्रयम् । इलायची २५० तोले, बांसा १०० तोले, For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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