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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आकारादि-रसायन भिगोदें पानी इतना होना चाहिये कि उस में उपरोक्त दोनों चीजें अच्छी तरह डूब जायं । जब सब क्षारजल सूख जाय तो उन्हें छाया में सुखाकर आमलों की गुठली दूर करके दोनों का चूर्ण कर लें। फिर उसमें चार गुना शहद और घी एवं चौथाई भाग चीनी मिलाकर किसी चिकने बरतन में भर जमीन में दबादें इसके बाद उसे छः मास पश्चात् निकाल कर अग्नि बलानुसार उचित मात्रा से प्रतिदिन प्रातः काल सेवन करें। और सायंकाल को पथ्य भोजन करें । इसके सेवन से मनुष्य १०० वर्ष की अजर (वार्द्धक्य रहित ) आयु प्राप्त कर सकता है। [४१२] आमलकी रसायनम् (२) (च. सं. चि. अ. १ ) आमलक चूर्णाकमेकविंशतिरात्र मामलकसहस्वरस परीपीतं मधुघृताढकाभ्यां द्वाभ्यामेकी कृतमष्टभागपिप्पलीकं शर्करा चूर्णाचतुर्भागसम्प्रयुक्तं घृतभाजनस्थं प्रावृषि भस्मराशौ निदध्यात्तद्वर्षान्ते सात्म्यापेश्रीप्रयोजयेदस्य प्रयोगाद्वर्षशतमजरमायुस्तिष्ठतीति समानं पूर्वेण । ४ सेर आमले के चूर्ण को २१ दिन तक १ हजार आमलों के रसमें भिगोयें फिर उसमें ४-४ सेर शहद और घी तथा सबके वज़न से आठवां भाग पीपल का चूर्ण और चौथा भाग खांड मिलाकर (मिट्टी के ) चिकने बर्तन में भरकर वर्षा ऋतु राखके ढेर में दबादें । और बरसात भर वहीं अर्थात- क्षार ( ढाक आदि की भस्म ) से ६गुना पानी मिलाकर उसे दोलायन्त्र विधि से ( रैनी बढा कर ) २१ बार चुवाले तो इस जलका नाम क्षारोदक होगा। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४३) दबा रहने दें। फिर बरसात बाद निकाल कर यथाविधि सेवन करें और पथ्य पालन करें। इसके सेवन से १०० वर्ष की अवर (वार्द्धक्य रहित ) आयु प्राप्त हो सकती है। [४१३] आमलकी रसायनम् (३) (च. सं. चि. अ. १ ) यथोक्तगुणानामामलकानां सहस्रमाई पलाशूद्रोण्यां सपिधानायां वाष्पमनुद्वमन्त्यामारण्यगोमयाग्निभिरुपस्वेदयेत् । तानि सुस्विमशीतानि उद्धृत कुलकान्यापोथ्यादकेन पिप्पलीचूर्णानामाढकेन च विडङ्गतण्डलचूर्णानामध्यर्धेन चाढकेन शर्कराचूर्णानां द्वाभ्यां द्वाभ्यामाढकाभ्यां तैलस्य मधुनःस पिषश्च संयोज्य दृढे घृतभाविते कुम्भे स्थापयेदेकविंशतिरात्रमतऊर्द्ध प्रयोगः अस्य प्र योगाद्वर्षशतमजरमा यस्तिष्ठतीतिसमानं पूर्वेण ॥ यथोक्त गुणान्वित १००० आमलों को ढाककी गीली लकड़ी की ढक्कनदार हांडी में भरकर उसके मुखको अच्छी तरह बन्द करदें कि जिससे भाप न निकल सके। अब इस हांडी को अरने उपलों की (मृदु) अग्नि पर रखकर आमलों को स्वेदित करें । जब आमले उसीज जायं तो ठण्डा होने पर उनकी गुठली निकाल कर गूदे को अच्छी तरह मथलें । अब ४ सेर यह मथा हुआ गूदा लें और ४ सेर पीपल का चूर्ण, ६ सेर बायबिडङ्ग का चूर्ण, खांड ४ सेर, शहद, घी और तेल ८-८ सेर लेकर सबको मिलाकर घृतके चिकने घड़े में भरकर २१ दिन तक रक्खा रहने दें। इसके पश्चात् यथोचित पथ्य पालन करते हुवे विधि पूर्वक सेवन करें। इसके सेवन से १०० वर्ष की अजर आयु प्राप्त हो सकती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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