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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit १२सके व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१९१९॥ ॥१११९॥ अवत्तब्वाइं आयाओ य नो आयाओ य ८ देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवा देसे आदिवै तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ९ एए तिन्नि भंगा, देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे आ- दिढे तदुभयपज तिपएसिए खंधे नो आया व अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाति य १० देसे आदिद्वे असभा| वपजवे देसा आदिहा तदुभयपनवा तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तब्वाइं आयाओ य नो आयाओ य११ | देसा आदिट्टा असम्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए ग्बंधे नो आयाओ य अवत्तव्वं आयाति य नो आयाति य २ देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपनवे तिपएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्वं आयाति यनो आयाइ य १३ से तेण?णं गोयमा! एवं वुच तिपएसिए खंधे सिय आया तं चेव जाव नो आयाति य॥ . [प०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के, "त्रिप्रदेशिक स्कंध कथंचिद् आत्मा छे-इत्यादि पूर्व प्रमाणे कहेचं, यावद् कथंचिद् आत्मा, नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मारूपे अबक्तव्य छ १ [उ०] हे गौतम! (त्रिप्रदेशिक स्कंध) पोताना आदेशथी ? आत्मा छे, २ परना-आदेशथी नोआत्मा छे, ३ उभयना आदेशथी आत्मा अने नोआत्मा-ए उभय रूपे अवक्तव्य छे, ४ एक देशना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने एक देशना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा अने नोआत्मारूप छे, ५ एक देशना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशोना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए ते त्रिप्रदेशिकस्कंध आत्मा तथा नोआत्माओछे, ६ देशोना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशना आदेशथी असद्भाव कर For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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