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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१११८ ॥ www.kobatirth.org स्कंध १ कथंचित् आत्मा - विद्यमान के, २ नाथंचिद् नोआत्मा-अविद्यमान छे, ३ आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे कथंचिद् | अवक्तव्य छे, ४ कथंचिद् आत्मा तथा कथंचित् नोआत्मा छे, ५ कथंचिद् आत्मा तथा नीआत्माओ छे, (एकवचन अने बहुवचन . ) ६ कथंचिद् आत्माओ अने नोआत्मा छे, (बहुवचन अने एकवचन.) ७ कथंचिद् आत्मा अने कथंचिद् आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, ८ कथंचित् आत्मा अने आत्माओ तथा नोआत्माओ - ए उभयरूपे अवक्तव्य के. ९ कथंचिद् आत्माओ अने आत्मा तथा नोआत्मा - ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, १० कथंचिद् नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, ११ कथंचित् नोआत्मा अने आत्माओ तथा नोआत्माओ - ए बने रूपे अवक्तव्यो छे, १२ कथंचिद् नोआत्माओ अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, १३ कथंचिद् आत्मा, नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए बने रूपे अवक्तव्य छे. सेकेणट्टे भंते ! एवं बुवइ तिपएसिए बंधे सिय आया एवं चैव उच्चारेपव्वं जाव मित्र आया य नो आया य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ?, गोयमा ! अप्पणो आइट्टे आया हूँ परस्स आइट्ठे नो आया २ तदुभ यस्स आइट्ठे अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ३ देसे आइट्ठे सन्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असन्भावपज्जवे तिपरसिए खंधे आया य नो आया य ४ देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देमा आइट्ठा असम्भावपज्जवे तिपएसिए वंधे आया य नो आगाओ य ५ देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असम्भावपज्जवे तिपएसिए बंधे आयाओ य से आया य६ देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदि तदुभयपज्जवे तिपएसिए बंधे आया य अबत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य ७ देते आदिट्ठे मन्भावपज्जवे देना आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए बंधे आया य Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal १२ शतके उद्देशः १० ॥१११८॥
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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