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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्रज्ञप्ति १२शतके उद्देश: मा कोथी आवीने उत्पन्न थाय, पण शर्कराप्रभाथी आवीने न उत्पन्न थाय, यावद्-अधःसप्तमपृथ्वीना नैरयिकोथी आवीने उत्पन्न न थाय. [प्र०] जो तेओ देवोथी आवी ( नरदेवो ) उत्पन्न थाय तो शुं भवनवासी देवोथी आवी उत्पन्न थाय के वानव्यंतर, ज्यो लातिष्क अने वैमानिक देवोथी आवी उत्पन्न थाय? [उ०] हे गौतम! तेओ भवनवासी देवोथी पण आवी उत्पन्न थाय, तथा वान व्यंतर, ज्योतिषिक अने वैमानिक देवोथी पण आवी उत्पन्न थाय. ए प्रमाणे सर्व देवो संबन्धे व्युत्क्रांति पदमा कहेली विशेषतापूर्वक यावत् सर्वार्थसिद्ध मुधी उपपात कहेवो. धम्मदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति किं नेरहए ? एवं वकंतीभेदेणं सब्वेसु उववाएयव्या जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, नवरं तमा अहेसत्तमाए तेऊवाऊअसंखिजवामाउयअकम्मभूमगअंतरदीवगवजेसु, देवाधिदेवाणं भंते ! कतोहिंतो उववजंति ?, किं नेरहपहिंतो उववज्जति ? पुच्छा, गोयमा ! नेरहएहिंतो उववजति नो तिरि० नो मणु. देवहिंतोवि उववनंति, जइ नेरइएहिंनो एवं तिसु पुढवीसु उवयजति, सेमाओ खोडेयव्याओ, जह देवेहितो, वेमाणिएस सव्वेसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, सेसा खोडेयव्वा, भावदेवा णं भंते ! कओहिंतो उबवज्जति ?, एवं जहा वकंतीए भवणवासीणं उयवाओ तहा भाणियव्वो ॥ (सूत्रं ४६२)॥ प्र०] हे भगवन् ! धर्मदेवो क्याथी आवी उत्पन्न थाय ? शु नैरयिकोथी, (तिय चोथी, मनुष्योथी के देवोथी आवी) उत्पन्न | थाय ? [उ०] ए प्रमाणे वधु व्युत्क्रांति पदमां कहेला भेद-विशेषवडे यावत्-सर्वार्थसिद्ध सुधी सर्वथकी उपपाद कहेवो, परन्तु विशेष ए के के, तमःप्रभा अने अधःसप्तमपृथ्वीथी, तथा तेजःकाय, वायुकाय, असंख्यवर्षना आयुष्यवाळा कर्मभूमिजो, अकर्मभूमिजो ACHAR For Private And Personal
SR No.020110
Book TitleBhagvati Sutram Part 05
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1940
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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