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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अगटा श्रगोटा इंजेक्शियो अर्गोटीनो हाइपाडमिका या किसी अन्य प्रकार के कुलक्षण नहीं उपम्धिन (Inj. Ergotini. llyport. ) करते । (प्रोफेसर युलेनबर्ग )। प्रोटोन स्वस्थ अन्तःक्षेप । डॉक्टर मरेल : Dr. Murre) को यक्ष्माशक्ति अगोंटीन १०० ग्रेन, कैम्फर वाटर जन्य फुप्फुसीय रकनिष्ठीयन में कई दिन तक २०० फ्लुइड ग्रे० । मात्रा-३ से १० मिनिम । रक्रस्राव अवरुद्ध रखने के लिए साधारणतः इसका (११) अर्गोटोनीन Ergotinine-यह एक अन्तःक्षेप ही पर्याप्त सिद्ध हुश्रा है। प्रसव के पश्चात् की चिकित्सा एवं रक्रति के कतिपय 'एक ऐल्कलाइड ( क्षारोद ) है जो अर्गट से प्राप्त अन्य भेदों में इसका सफलतापूर्वक त्वस्थ होता है। इसके सून श्वेत स्फटिक (रवे) अन्तःक्षेप किया जा सकता है। हाते हैं जो वायु एवं प्रकाश के प्रभाव से कृष्ण वर्ण के हो जाया करते हैं। मात्रा से ग्रेनाइसकोसाधारणतःत्वस्थ नोट-अधुना यह अर्गोटॉक्सीन का अन्हाइ- सूचीवेध द्वारा प्रयुक्त करते हैं। अतः अर्गाड्राइड माना जाता है। टोनीन १ ग्रेन, लैक्टिक एसिड २ मिनिम, क्लोरोविलेयता-यह एक भाग ( माप में) फॉर्म १००० मिनिम को मिलाकर इसमें से ५ से ३३भाग ( मापमें ) शुद्धासव (A bsolute १० मिनिम, लेकर स्वस्थ सूचीवेध द्वारा प्रयुक्त करते हैं। Alcohol.)में, तथा५० ° फ़ारनहाइटके उत्तार ! पर विलीन होजाता है । और एकभाग २२० भाग (१२) अर्गेटोनी साइट्रास ( Ergoti. शुद्ध ईथर (A bsolute ther.) में, hie Citras.) और (१३) अर्गटीनी हाइड्रोएक भाग ११ भाग ईथिल ऐसीटेट में. १ भाग क्लोराइड (Ergotinar Hydrochlo२६ भाग एसीटोन में, १ भाग ७७ भाग खौलते ride)-यह दोनों प्रोटीनीन द्वारा निर्मित हुए बेन्जीन में, १ भाग ५२ भाग खौलते हुए धूसर वर्ण के चण हैं जो जलविलेय होते हैं। इंथ्रित : ऐलकोहल में और १ भाग ५६ भाग मात्रा- से ग्रेन । इनमेंसे प्रथम का मीथिल ऐलकोहल में विलीन हो जाता है। अन्तःक्षेप किया जा सकता है। " नोट -- प्रोटीनीन और सम्पूर्ण विलायक (१४) अगोटॉक्सीन (Ergotoxine)'द्रव्यों के भाग द्रव्यमान ( प्रायतन ) के अनुसार - यह एक लघु श्वेत वर्ण का चूर्ण होता है जो नहीं, प्रत्युत माप के अनुसार हैं। शीतल ऐलकोहल तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड * गुणधर्म तथा उपयोग--प्रभाव में यह के विलयन में विलीन हो जाता है। प्रोटीन की अपेक्षा अधिकतर शक्तिशाली है। ''धमनिका गल्युत्पादक वात-तन्तु-विकार, विशेषतः । . इससे हाइड्रोक्लोराइड ( उज्जहरिद ), ऑक्ज़शिरोऽर्ति, अर्द्धावभेदक, ( Basedow's • लेट ( काष्ठेत् ) और स्फुरत् लवणों का निर्माण ता है। disease ) और वस्तिकी वातग्रस्तताकी दशा में इसका प्रयोग करते हैं। अर्गट सत्व ( Ex. ___ मात्रा-..से.. ग्रेन । यह कॉन्युटीन, tract of ergot) के अन्तःक्षेप की अपेक्षा एकबोलीन और हाइड्रो-प्रोटीनीन नाम से भी प्रोटीनीनी कार से ग्रेन की मात्रा का प्रख्यात है । स्वगधोऽन्तःक्षेप अधिकतर लाभ प्रदर्शित करता नोट-प्रोटीन यद्यपि ब्रिटिश फार्माकोपियाके है। मॉर्फीन इंजेक्शन ( अहिफेनीन अन्तःक्षेप ) एक्सट्रैक्ट श्रॉफ अर्गट का पर्याय है, तथापि उसके 'की अपेक्षा यह अधिक वेदना नहीं उत्पन्न करते । - अतिरिक्र इसके कई एक व्यापारिक भेद हैं जिनमें (अपितु अंपेक्षाकृत वेदना रहित हैं), और क्षोभ से कतिपय निम्न हैं : For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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