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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अनार www.kobatirth.org जिसकी चमड़ी से तुरन्त रुधिर निकल थाए ऐसे बच्चों की जुबान का खून बन्द करने के लिए अनार खिलाना चाहिए। बवासीर वालों को श्रनार खिलाना हितकारी हैं । इसके रस में शकर मिलाकर कुछ गर्मकर पिलाने से वमन रुक जाता है । अनार के रस में जीरा और शर्करा मिलाकर पिलाने से अरुचि मिटती है । अनार के दाने खाने से रुचि बढ़ती है । खट्टे अनार के रस में कुछ मधु मिलाकर कान में टपकाने से कान का दर्द दूर होता है । मीठे अनार का रस निकाल बोतल में भर कर धूप में रख दें। जब वह चाशनी जैसा होजाए तब उसका अंजन करने से सब तरह की आँखों की खुजली मिटती है और प्राँख की रोशनी बढ़ती है । रुब्ब जिस ज्वर रोगी को प्यास बेचैनी, मतली, वमन एवं रेचन होता हो उसको अनार या शर्बत अनार का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है । अनार का फूल ( दाड़िमपुष्प ) दाड़िमपुष्प:- सं० । गुले श्रनार - फा० । बरु 'म्मान अ० | ग्रेनेटाइ फ्लॉरीस Granati Flores - ले० | पॉमेमेनेट फ्लावर्स Pomeg ranate Flowers-f⚫ | वह अनार जिसमें फल लगते हैं उसको कली को अरबी में अनुमाउरु म्मान या जु बज़ुरु म्मान कहते हैं । पर वह अनार जिसमें फल नहीं लगते उसके फूल को गुलनार कहते हैं । गुण तथा उपयोग - " घ्राणात् प्रवृत्ते रुधिरे दाड़िम पुष्परस :- तथा दादिम पुष्प तोयम् ।" अनार के फूल के रस का नस्य लेने से नासिका द्वारा रकस्राव अर्थात् नासार्स वा मक्सीर को लाभ होता है । च० चि०५ श्र० । नार की वह कलियाँ जो निकलते ही हवा के कोलों से वृक्ष से गिर पड़ती हैं, क्षतों के लिए हितकर हैं। क्योंकि ये श्रतिशय सङ्कोचक ३०३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनार एवं क्रेदन (मुजफ़्फ़फ़ ) होती हैं, विशेष कर जलाई हुई | क्योंकि जलानेसे उनका शुष्कका रिश्व अधिक हो जाता हैं। नफ़ी० । खट्टे अनार के शब्क फूल को बारीक पीसकर श्रवचूर्णन करने से मसूड़ों से रक्तस्राव का होना रुक जाता है एवं यह व्रणपूरक है । म० श्र० । ( १ ) इसके पुष्प में सङ्कोचक गुण है । श्र नार की कली को चूर्णकर ४ से ५ ग्रेन की मात्रा में देने से कास को लाभ होता है । ( २ ) अनार की अविकसित ताजी कलियों को पीसकर चूर्ण किए हुए वुद्र एला बीज, पोस्त बीज तथा मस्तगी में मिश्रित कर शर्बत के साथ इसका अवलेह प्रस्तुत करें। बालकोंके पुरातन अतिसार एवं प्रवाहिका की चिकित्सा के लिए यह अमोघ श्रौषध है। (Tukina). अनार के फूल का रस और दुर्ष्या का रस इनको समान भाग सेवन करने से अथवा इसके लाल फूलों का रस नाक में टपकाने से या सुधाने से नकसीर बन्द होती है । अनार के सूखे फूलों को दस्त को बन्द करनेवाले योगों में डालने से इनका गुण बद बाता है । नार और गुलाव के सूखे फूल लेकर पीस कर मंजन करने से मसूदों का पानी बन्द हो जाता है । इसकी कलियों का दो ढाई रत्ती चूर्ण खाँसी के लिए बहुत गुणदायक है । अनारके ताजे फूल ४ तो०, मेथी सब्ज़ १० तो० इनको बारीक रगड़ कर ३ सेर पानी में पकाएँ । जब पककर लेई की तरह गाढ़ा गाढ़ा लुनाब सा हो जाए तब शिर के बालों पर लेप करें । इसके दो घंटे बाद स्नान करें तो बाल घूँ घरवाले और बारीक हो जाते हैं । For Private and Personal Use Only अनार की कली जो खिली न हो ताजी लेकर खूब कूटकर निचोड़ कर धूप या पानी की भाप पर शुष्क कर लें । मात्रा - ३ माशे से ६ माशे तक |
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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