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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org .... xxviii विषया:. मूलाधारपद्मस्य षट्कमलानामादिभूतत्वम् मूलाधारपद्मस्यामृतसेच कत्वम् तस्यैवाभिवृद्धिः धातुपद्मपोषणार्थं शतदपद्मस्याविर्भावः शतदळपद्मस्य जठरामयाधारत्वम् तस्यैव तत्तद्रसपाचनद्वारा तत्तद्धातुस्थाने स्वतेजसा भानम् .... त्रिकोणपद्यस्यावस्थानम् त्रिकोण पद्मस्य प्रजाजन नहेतुभूतत्वं, शरीरान्तर्गतशाखावभास कत्वं च त्रिकोणजन्यामृतस्य पोषकत्वम् रजस्तमसोरात्मज्ञानप्रतिबन्धकत्वम् नाभ्यादिषु मयूखविकास: अभक्तकला दिना क्षित्यादिपोषणम् शरीरतत्त्ववदनस्य फलनिरूपणादि अनाम पालनस्यानामयहेतुत्वम् अप्रमादेन चिकित्सा कार्या प्रथिव्यादिभूतपञ्चकगुणस्य तत्तत्कार्य जनकत्वम् अभिघातजामायनां दुस्साम्यत्वम् लवणादिरसानामस्थिदायादिकरणम् षष्ठः प्रश्नः. तत्तद्रसजन्यानलस्य तत्तद्रसपाचकत्वम् मधुररसादीनां सन्निपातज्वरापहारकत्वम् गोघृतादीनां तत्तद्रोगापहारकत्वम् तिक्तबीजस्थाजीर्णज्वरनिवर्तकत्वम् "00 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18.4 .... For Private And Personal Use Only **** **** सूत्रम् पुटम् 39 239 40 241 11 241 42 242 43 242 44-49 243 50 250 51 252 52 254 57 254 67 254 75 255 84 255 91 255 98 256 100 256 108 256 1 257 15 258 41 259 42 259 58 260
SR No.020087
Book TitleAyurved sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYoganandnatha, R Shama Shastry
PublisherGovernment of Mysore
Publication Year1922
Total Pages347
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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