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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति निदान बवासीर के रोगसे मोटी गांठें सी पड़ जाती हैं और उसीसे सड़ा हुआ विजातीय द्रव्य पीठकी ओर भी बढ़ता है । यह रोगी मेरी चिकित्सा के अनुसार कई बरस इलाज करने के बाद पूरी तरह से चङ्गा होनेकी आशा कर सकता है । पर एकत्रित विजातीय द्रव्य अभी उसके शरीर में बहुत कड़ा नहीं हुआ है इसलिये कुछ ही हफ्तोंके अन्दर ज्योंही सिर विजातीय द्रव्यसे कुछ कुछ खाली हो जाय त्यों ही सुधारकी आशा हो सकती है लेकिन पूरी तरहसे चङ्गा होनेके लिये कुल पीठवाला और बगलवाला बाद्दीपन निकाल दिये जानेकी जरूरत है । [ ७ ] जिस मनुष्यका चित्र नं० २ है, देखिये उसका शरीर कैसा मोटा, तोंद कैसी फूली हुई है । वह बहुत ही धीरे-धीरे हमारी ओर आ रहा है । उसकी चाल-ढाल खराब नहीं है पर उसका रङ्ग बहुत ज्यादा लाल है और उसके चमड़ेकी रङ्गत बहुत ही अधिक चमकदार है जिससे मालूम पड़ता है कि बीमारीने इसके बदन में बहुत दूरतक घर कर लिया है। उसकी मोटाई यह बात कह रही है कि उसमें बहुत ही अधिक बादीपन है । माथा चर्बी से भरा हुआ गद्दीदार मालूम होता है । वह इस तरह आंखोंको दाबे हुए हैं कि आंखें छोटी मालूम पड़ती हैं और मुश्किल से खोली जा सकती हैं। हम तुरन्त देख सकते हैं कि बादोपन उसके पीछे की ओर है। बादीपनका दबाव उसके माथे से लेकर पीछे की ओर नीचेतक है। उसके ढले-ढाले For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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