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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बादीपनका इलाज १ दौर्बल्यकी शताब्दी कही जाय तो अनुचित नहीं । पर नाड़ो दौर्बल्यका कारण वर्तमान समय या शताब्दी नहीं बल्कि वह गलत तरीका है जिसके अनुसार हम अपना जीवन निर्वाह करते हैं । इस गलत तरीकेके द्वारा खास करके पीठमें बादीपन जरूर पैदा होता है । खाना अकसर बहुत देरको खाया जाता है और बहुतसे लोग तो शामका खाना ऐसे समय खाते हैं जब कि उन्हें सोते होना चाहिये। जो खाना इतनी देरको खाया जाता है वह पूरी तरह से नहीं पचाया जा सकता । उससे पाचनेन्द्रियों पर इतना जोर पड़ता है कि उसका असर सवेरेतक भी बना रहता है । सवेरे भूख न लगने का यही कारण है । इसके अलावा बिना पचा हुआ खाना शरीरको उत्तेजित करता है, जिससे बदनको असली आराम नहीं मिलता। इसलिये शायद सवेरे रातकी अपेक्षा ज्यादा थकावट मालूम होती है । इस आदतको बदलने के लिये सिर्फ थोड़ेसे निश्चयकी आवश्यकता है। बीमार आदमी अगर अच्छा होना चाहते हैं तो उन्हें इस आदतको जरूर बदल देना चाहिये । अगर आप रातको बिना खाये हुए या बहुत ही हलका भोजन खाकर सोये तो सवेरे जरूर आपको भूख लगेगी। इसमें सन्देह नहीं कि इस नियम के अनुसार चल्लनेसे आपको अपने बीवनका कुल क्रम बदलना पड़ेगा । बहुतों को तो शायद जल्दी सोनेकी भादत डालना बहुत ही मुश्किल मालूम पड़ेगा । पर ५ For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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