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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ भाकृति निदान असल में यह सब आदतकी बात है। तड़के उठिये और अगर आपको कुछ थकावट मालूम पड़े तो उसकी परवाह न करिये। ऐसा करनेसे शामके वक्त आपको जरूर जल्दी सोनेकी इच्छा मालूम होगी। इस तरह से प्राकृतिक नियमोंके अनुसार जीवन व्यतीत करनेकी आदत बहुत जल्द पड़ जायगी। हमें ऐसा प्रबन्ध करना चाहिये कि जहाँतक हो सके वहाँ. तक हम अपना काम दिनके पहले भाग अर्थात् उत्तेजना देनेवाले भागमें करें, क्योंकि दूसग अर्थात् शान्ति देनेवाला भाग नहीं बल्कि उत्तेजना देनेवाला भाग ही प्रकृतिकी ओरसे काम करनेके लिए नियत किया गया है। उसी भागमें वह काम अर्थात् सन्तानोत्पत्तिका काम भी करना चाहिये जो मनुष्य जातिके लिये इतने विशेष महत्त्वका है। दिनके पूर्व भागमें गर्भोत्पादनका काम अधिक सफलताके साथ हो सकता है और अच्छी सन्तान पैदा हो सकती है। याद रहे कि हमारा कर्त्तव्य ऐसी सन्तान उत्पन्न करना है जो अच्छी और तन्दुरुस्त हो। इसलिये हर एक मनुष्यको गर्भोत्पादनके लिये सबसे अच्छा समय और सबसे अच्छी हालत चुनना चाहिये। अक्सर यह देखा गया है कि बहुतसे लोग अपनेको नपुंसक समझे हुए थे, क्योंकि शान्ति देनेवाले अर्थात् दिनके उत्तर भागमें गर्भोत्पत्ति करनेकी शक्ति उनके शरीर में नहीं रह जाती थी, पर अनुभवसे उन्हें मालूम हुआ कि उत्तेजना देनेवाले भागमें वे गर्भोत्पादन करनेके पूरी तरहसे योग्य हैं। दोनों भागों में क्या खास फर्क है यह आप इस दा For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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