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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाकृति निदान करने की इच्छा प्रकट करते हैं। यही नियम पाचनेन्द्रियोंके सम्बन्ध में भी व्यापक है। तीसरे पहरकी अपेक्षा सवेरे पाचनशक्ति अच्छी रहती है। सन्ध्या समय तो पाचन शक्ति और भी कमजोर पड़ जाती है। ___ इससे यह नतीजा निकलता है कि खाना खास करके सोरे और दिनके पहलेवाले हिस्से में खाना चाहिये और तीसरे पहर सिर्फ बहुत ही थोड़ी मिकदारमें भोजन करना चाहिये। रोगी और निर्बल मनुष्यको यह नियम खास तौरपर पालन करना चाहिये। क्योंकि इस नियमका पालन करनेसे वे यथासम्भव अपनी शक्तिका उपयोग कर सकते हैं और उसे फिर अच्छी हालतमें ला सकते हैं। ___ शायद भाप यह कह सकते हैं कि जो लोग बीमार होते हैं उन्हें सवेरे बहुत ही कम भूख लगती है और बिना भूखके वे कैसे खा सकते हैं। पर सवेरे भूखका न लगना इस बातका निश्चित प्रमाण है कि पाचनेन्द्रियां या तो बहुत कमजोर हैं या गलत समयपर अपना काम करनेके लिये मनबूर की गयी हैं । आजकल रोशनी करनेका ऐसा ढंग निकाला गया है. कि रातको भी दिनको तरह प्रकाश हो जाता है। मनुष्यने अपनी सभ्यताकी बदौलत जो सफलतायें प्राप्त की हैं, उन्हें अकसर हम हानिकर कामों में ही लगाते हैं। इसलिये कोई आश्चर्य नहीं कि लोगों में बातरोग और नाड़ी दौर्बल्य इतना अधिक खिलायी पड़ रहा है यहांतक कि वर्तमान शताब्दी यदि नाड़ी For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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