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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir 3/विगेरे त्रिक चोतरा विगेरे उपर उभेला भगवानने जोइने पूछतां जवाब न आपवाथी हाथमा शक्ति कुंत (भाला) विगेरे राखनारा भगवानने पीडा करता हता. तथा इन्द्रियोथी उन्मत्त थयेल स्वीओ भगवान पासे एकांतमा भोगनी याचना सुंदर रुप जोइने करती लसूत्रम् है हती. अथवा शरीर सुगंधी जोइने अथवा पोतानु तेवू सुंदर शरीर बनाववा इच्छता पुरुषो भगवान पासे उपाय पूछता हता. जवाब ।।८३२॥ ॥८३॥ न मळवाथी भगवानने दुःख पण देता हता. ६ इहलोइयाई परलोइयाई भीमाई अणेगरूबाई । अवि सुब्भि दुब्भिगन्धाइं सदाइं अणेगरूवाइं ॥९॥ । अहियासए सया समिए फासाइं विरूवरूवाई । अरई रई अभिभृय रीयइ माहणे अवहुवाई ॥१०॥ स जणेहिं तत्थ पुच्छिसु एगचरावि एगयाराओ। अवाहिए कसाइत्था पेहमाणे सचाहिं अपडिन्ने ॥११॥ . अयमंतरंसि को इत्थ ? अहमंसित्ति भिक्खुआहट्ट । अयमुत्तमे से धम्म तुसिणीए कसाइए झाइ ॥१२॥ क आ लोकमां एटले मनुष्ये करेला दुःखना स्पर्शो तथा देवताए करेला दिव्य स्पर्शी तथा तिर्यचोए करेला उपसर्गोनां दुःखो तथा Bा पर भवे करेलां पापोथी उदयमा आवेलां दुःखोने पोते समताथी सहे छे. अथवा आज जनममा जे दंडाना प्रहार विगेरे दुःख दे। छे. तथा ते शिवायना परलोक संबंधी भीम (भयंकर) जुदा जुदा उपसर्गो आवे छे. ते बतावे छे. एटले सुगंधीवाळा ते फुलनी "माळा तथा चंदन विगेरे छे. अने कोहेलां मुडदा विगेरे दुर्गधवाळा छे तेज प्रमाणे वीणा वेणुं मृदंग विगेरेथी मधुर अवाज तथा कमेलक (उंट) नुं बराडवु विगेरे कानमां कठोर अवाज लागे छे. ते बन्नेमां भगवान रागद्वेष करता नथी. [९] For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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