SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir शस्त्रपरिज्ञा नाम प्रथम अध्ययन -चतुर्थोदेशकः तृतीयोद्देशक में अकाय का वर्णन कर तद्विषयक विरति का प्रतिपादन किया गया है । अबक्रमप्राप्त तेउकाय का वर्णन करते हुए, उसकी सजीवता का जो निषेध करते हैं उनको शिक्षा देते हैं: से वेभि णेव सयं लोग अब्भाइक्खेजा, णेव अत्ताणं अभाइवखेजा, जे लोगं अमाइक्खति से अत्ताणं अभाइक्खति, जे अत्ताणं अभाइक्खति से लोगं अभाइक्वति (२६) संस्कृतच्छाया-मोऽहं ब्रवीमि नैव स्वयं लोकं प्रत्याचक्षीत, नैवात्मानं प्रत्याचक्षीत । यो लोकमभ्याख्याति स आत्मानमभ्याख्याति, य श्रात्मानमभ्याख्याति स लोकमभ्याख्याति । शब्दार्थ से बेमि=मैं कहता हूँ। सयं-स्वयं। लोगं तेउकाय लोक का। णेव अब्भाइक्खेजा-अपलाप नहीं करना चाहिये । णेव अत्ताणं न अपनी आत्मा का। अब्भाइ खेजा-अपलाप करना चाहिये । जे लोग अब्भाइक्खति जो तेउकाय लोक का अपलाप करता है। से अत्ताणं अब्भाइक्खतिवह अपनी आत्मा का भी अपलाप करता है। जे अत्ताणं अब्माइक्खति-जो आत्मा का अपलाप करता है । से लोग अब्भाइक्खतिवही तेउकाय का अपलाप करता है। भावार्थ-हे सुशिष्य जम्बू ! मैं कहता हूं कि अग्निकाय की सचेतनता का अपलाप नहीं करना चाहिये तथैव आत्मा का भी अपलाप नहीं करना चाहिये । जो तेउकाय की सजीवता में शंकाशील हो अपलाप करता है वह आत्मा के अस्तित्व का अपलाप करता है। जो आत्मा के अस्तित्व का निषेध करता है वही अग्निकाय की सचेतनता का अपलाप करता है। विवेचन-जो तेउकाय की सचेतनता का अपलाप करता है वह अति साहसिक आत्मसामान्य का भी अपलाप करने वाला हो जाता है। प्रत्यक्ष और अनुमानादि प्रमाणों से आत्मद्रव्य की सिद्धि अप्काय के प्रकरण में कर चुके हैं अतः पुनः पिष्टपेषण योग्य नहीं है । प्रमाणसिद्ध होने पर भी जो आत्मा का अपलाप करता है केवल वही महासाहसी अग्निकाय की सचेतनता का निषेध कर सकता है क्योंकि For Private And Personal
SR No.020005
Book TitleAcharanga Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Maharaj, Basantilal Nalvaya,
PublisherJain Sahitya Samiti
Publication Year1951
Total Pages670
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy