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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विमोक्ष नाम अष्टम अध्ययन - अष्टम उद्देशकः VEGETÁVAJ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पूर्व के उद्देशकों में रोगादि उत्पन्न होने के कारण शरीर के क्षीण और असमर्थ होने पर भक्त - परिज्ञा, इङ्गितमरण और पादपोपगमन करने का विधान किया गया है। अब इस उद्देशक में यथाक्रम विहारी साधकों के समाधिमरण का निरूपण किया जाता है । प्रव्रज्या अंगीकार करना, शिक्षा प्राप्त करना, सूत्र और अर्थ का ग्रहण करना और सब प्रकार से परिपक्व होने पर एकलविहार प्रतिमा दि विविध प्रतिज्ञाओं का स्वीकार करना इत्यादि रूप से क्रमश: संयम का पालन करते हुए अन्तिम अवस्था का आगमन होने पर अपनी शक्ति एवं धृति को देखकर तदनुकूल समाधि मरण की आराधना करने का विधान करते हुए सूत्रकार इस रीति से उद्देशक का आरम्भ करते हैं: अनुष्टुप छन्द - अणुपुव्वेण विमोहाई, जाई धीरा समासज्ज । वसुमन्तो ममन्तो सव्वं नचा लिसं ॥ | १ || दुविहंपि विज्ञत्ताणं, बुद्धा धम्मस्स पारगा । अणुपुवीर संखाए श्रारम्भा तिउट्ट || २ || संस्कृतच्छाया - अनुपूर्व्या विमोहानि यानि धीराः समासाद्य | वसुमन्तो मतिमन्तः सर्व ज्ञात्वाऽनीदृशम् || द्विविधमपि विदित्वा बुद्धाः धर्मस्य पारगाः । श्रानुपूर्व्या संख्याय, आरम्भात् क्ष्यति ॥ 1 शब्दार्थ — श्रणुपुब्वेणं-क्रमशः । जाई विमोहाई= जो मोहरहित भक्तपरिज्ञा आदि हैं उन्हें । समासज्ज=प्राप्त करके | धीरा = धीर पुरुष | वसुमन्तो = संयमी । मइमन्तो = सच्चे मतिमान् होते हैं । सव्वं अलिस = सब अनन्यसदृश | नच्चा = जानकर समाधि का पालन करे ||१|| दुविहं= पि= दोनों प्रकार के तप आदि । विइत्ता - जानकर | बुद्धा = तत्त्ववेत्ता | धम्मस्स पारगा = धर्म के पार पहुँचे हुए मुनि | अणुपुव्वीः = क्रम से । संखाए = सब जानकर । श्ररम्भाओ = शरीर के लिए अन्नपान आदि गवेषणा रूप आरम्भ से । तिउट्टह=दूर हो जाते हैं । 1 For Private And Personal भावार्थ – अनुक्रम से ( दीक्षाधारण, शिक्षाधारण, सूत्रार्थ का अध्ययन और परिपक्वता प्राप्त होने पर एकाकी विहार आदि क्रम से ) मोह दूर करने के साधन रूप भक्तपरिज्ञा आदि को अंगीकार
SR No.020005
Book TitleAcharanga Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Maharaj, Basantilal Nalvaya,
PublisherJain Sahitya Samiti
Publication Year1951
Total Pages670
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size17 MB
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