SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 583
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५५२ पूजा - संग्रह | गाथा ॥ जे सिद्धा सिजन्ति जे सिजित । जसु प्रलंबन ठविय मन, सो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सन्ति सेवो अरिहंत ॥ ४ ॥ ढाल || शिव सुख कारण जेह त्रिकालें, सम परिणामें जगत निहालें । उत्तम साधन मार्ग दिखालें, इन्द्रादिक सु चरण पखालें ॥१॥ कुसुमांजलि मेलो पावं जिणंदा, तोरा चरण कमल चोवीस, पूजोरे चोवीस, सोभागी चोवीस, वैरागी चोवीस जिणंदा ॥ कुसुमांजलि मेला श्री पार्श्व जिन्दा ॥ ( यह पढ़कर दोनों कंधों पर टीकी लगाना चाहिये ) ॥ ४ ॥ गाथा | सम्मदिट्ठो देसजय, साहु साहुणी सार | अचारिज उवाय मुग्णि, जो निम्मल आधार ॥ ५ ॥ ढाल ॥ चौविह संघे जे मन धास्रो, मोक्षतो कारण निरधास्यो । विविह कुसुम वरजात गहेवो, तसु चरणे प्रणमन्त ठवेवी ॥ १ ॥ कुसुमांजलि मेलो श्रीवीर जिणंदा, तोरा चरण कमल For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy