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________________ जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान । विशेष नोंध | प्रथाका सी.डी. १९२ ...१९३ १९३ १९३ १९३ पत्र १३८ मुं नथी .३६१ ..... पत्र २२२,२२३ नथी. ...... १३०० पत्र ८७ थी ९३ नथी ........ १३००. पत्र १ थी ४.६.७.३०,४४.५४.७५ नथी. अंतनां ५ पत्र अति जीर्ण छे. १९३ ३७२... १३०० .. १२०० जीर्ण स्थिति छे. .....१९३ ...१९८ ग्रंथर्नु नाम भाषा संवत् । पत्र संख्या | झेराक्ष ३६६/२ द्रव्यालंकार सटीक तृतीयपरिच्छेद ..... रामचंद्र-गुणचंद्र स्वोपा ..... ........ १२०२ ...........११३ ३६७/१ प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञ टीका सह ....... हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ....... ...............१-१११ ३६७/२परीक्षामुखसूत्र ......११२-११९ ३६७/३/ सर्वज्ञसिद्धि ............................. हरिभद्रसूरि ... १५०० ...१२०-१३९ ३६८ .... | रत्नाकरावतारिका रत्नप्रभाचार्य ......२६१ ३६९...प्रमालदमलक्षणसटीक......... बुद्धिसागरसूरि ३७०... धर्मोत्तरटिप्पनक मल्लवादी आचार्य.... .. ९४.. ३७० थी ३७४ धर्मोत्तरटिप्पनक ....................... मल्लवादी आचार्य .......... शांतिसूरि ३७३... सर्वसिद्धांतप्रवेश (पउदर्शनसमुच्चय जेवो गद्य ग्रंथ) ... .......... १७.. ३७४ .... न्यायप्रवेश .............. दिङ्नाग आचार्य. ............ १३०० ............११,.. ३७० ३७५/१ न्यायप्रवेशसूत्र दिङ्नाग .. .....१-१७ .........३७५ ३७५/ २सर्वसिद्धांतप्रवेश.. ....१७४१ ३७५/३/न्यायप्रवेशटीका ... हरिभद्र आचार्य .......४२-१३४ ३७६/१ न्यायबिंदु (लघुधर्मोत्तरसूत्र) .......... धर्मकीर्ति आचार्य ........... ३७६/२न्यायबिंदु टीका ...... धर्मोत्तरपाद आचार्य ...... ........... १३०० ३७७ ... तत्त्वसंग्रहसूत्र ............. शान्तरक्षित ............ ............ १२०० ३७८ ... तत्त्वसंग्रहपंजिकावृत्ति कमलशील आचार्य .......... ............१२०० ... ३७८(१-२) ३७९ ... न्यायकंदलीटीका श्रीधर भट्ट ................ ..र-९१३,ले-१४०० ३८०.... न्यायकंदलीटीका ... श्रीधर भट्ट ...........----- ..र.९१३-ले.१३००/- ........२३९ ........३८० ३८१/१ न्यायकंदलीटिप्पनक.............. -नरचंद्रसूरि मलधारी ...........३८१/२ न्यायावतारटिप्पनक .... मलधारी देवभद्रसूरि हर्षपुरीयगच्छ .......... सं.............. १४८९ ......१६५-२३० ३८२... न्यायवार्तिक ................ उद्योतकर.......... सं............. १४००.........२-१५५ ....३८२ + ३८३ ३८३/१४ प्रशस्तपादभाष्य पदार्थधर्मसंग्रह अपूर्ण ... प्रशस्तपाद ...... ........... १२०० .......... २३ ....३८२ + ३८३ ३८३/२, न्यायकन्दलीटीका अपूर्ण ...............श्रीधर भट्ट ....... ..२.९१३-ले.१२०० ............ ....३८२+३८३ ...१२०१ .११७ १९८ १९४ १४७७ .... ३९९७ - पत्र १८६ मुं नथी पत्र ६१,११३.३०२,३११ नथी ....... ३७१६ ...... ३७१६ १९५ "--.......१-१६४ .१९६ ....१९६ ......१९६ बचमा वचमां थईने लगभग अर्धाअर्ध पानां नर्थी विशेष प्रकारनी लीपी छे. पत्र ८५ मुं नथी lain Education International For Private & Personal Use Only www.tainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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