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________________ ग्रंथान | विशेष नोध १६७२ १७५४ • ३२५ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक. ग्रंथ नाम | स्थिति। भाषा संवत् झेरोक्षसी .डी १७४०...... सारस्वतदीपिका पंचसंधि ........... मध्यम .... १७४१ ...... सारस्वतटिप्पनक . श्रेष्ठ .....क्षेमेन्द्र -टी. ..............सं... १७४२ ...... सारस्वतप्रथमश्लोकार्थ... मध्यम .... १७४३ ....... क्रियाचंद्रिका अपूर्ण ............... मध्यम ........ ....... ऋजुप्राज्ञप्रक्रियावृत्ति ............... श्रेष्ठ........... |१७४४ थी १७४७ ...२८६ १७४५ ......ऋजुप्राज्ञव्याकरण .................. - श्रेष्ठ..... सहजकीर्ति ............ १७४७ ...२८६ शब्दशोभाव्याकरण टिप्पणीसह ......... जीर्ण .... नीलकंठ .............. १७३७ १७४७ शतश्लोकीव्याकरण अपूर्ण............. मध्यम ........ " થી ૧૭es कविकल्पद्रुम टिप्पणीसह ...............मध्यम ... बोपदेव ... .१७४८. कविकल्पद्रुम ....................... श्रेष्ठ..... वोपदेव.. १७४९ ...२८६ कविकल्पद्रुम धातुपाठ ............... जीर्ण .... १७५० क्रियाकलाप श्रेष्ठ ..... विद्यानंद १७५१ क्रियाकलाप जीर्ण .... विद्यानंद .. १७५८ .१७५२ दुर्गसिंहलिंगानुशासन श्रेष्ठ .....दुर्गसिंह १७५३ थी १७५५...२८६ कातंत्रविक्रम सटीक त्रिपाठ... श्रेष्ठ ..... चारित्रसिंह -टी.. . १६३५- ..............७ १७५३ थी १७५५ अव्यय सावचूरिक त्रिपाठ.. श्रेष्ठ ..... १७५३ थी १७५५ १७५६ .... अनिट्कारिका ...... विभक्तिविचार ........... ..१७ वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक त्रिपाठ ... श्रेष्ठ ..... उदयधर्मगणि -टी....... -र.१५०२-ले.१६१२ .. १७५७ + १७५८ ....... गणरत्नमहोदधिवृत्ति .................... श्रेष्ठ ..... गोविंदसूरिशिष्य यर्द्धमान .................. सं.र.११९७-ले.१७६९/................ |...........१७५९ . १७६०...... गणरत्नमहोदधि स्वोपज्ञटीकासह अपर्ण.............. मध्यम ... गोविंदसूरिशिष्य ....वर्द्धमान ..................सं......... र. ११९७-............. .....१७६०...२८६ वृत्तरत्नाकर टिप्पणीसह ............. मध्यम ... गोविंदसूरिशिष्य वर्धमान . सं.-.... वृत्तरत्नाकर... मध्यम ..-भट्ट केदार ...............सं......... वृत्तरत्नाकर सटीक जीर्ण ... भट्ट केदार -मू. ..........टी.क. सोमचंद्र ...........सं........... र.१३२९ ...१२ ........... *... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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