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________________ कर्ता १७६४ . १३६ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ मंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम| स्थिति भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध ......भुतबोध .............................. मध्यम .. कालिदास कवि.... - भरतसंगीतसंयोग ................. मध्यम... .................१५१ रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ ............... मध्यम .. जयकृष्ण १७७६ रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ .............. मध्यम काव्यानुशासनसूत्रपाठ...... मध्यम .. १७६८.२८६ हैमकाव्यानुशासनविवेक .............. श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य ...... १७६९ .२८७....४०००| कविशिक्षा काव्यकल्पता वृत्तिसह ....... श्रेष्ठ..... अमरचंद्रसूरि १७७०.२८६ ....२३५७/ वाग्भटालंकार .. वाग्भट १७७१ 4.२८६/-....२८९/ ...... कुमारसंभवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यंत सावचूरि श्रेष्ठ ..... कवि कालिदास -मू..... .................. प्रति पाणीथी भींजायेली छे. १७७३ ... रघुवंशमहाकाव्य अपूर्ण. मध्यम ... कवि कालिदास १७७४ ... रघुवंशमहाकाव्य - सर्ग नवथी बार अपूर्ण मध्यम ... कवि कालिदास ....... १७७५ अभिधानचिंतामणिनाममाला .......... श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ ..... ....१७७५ ...२८७/.. १०००० प्रतिनी किनारी उंदरे करडेली छे स्वोपज्ञटीका १७७६ अमिधानचिंतामणिनाममाला ............श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य ............... ........... १६५०.................२४७ /...........१७७६ ...२८७ .. १००००/ स्वोपज्ञटीकासह १७७७ ....... अमरकोश प्रथमकांड सटीक त्रिपाठ .. मध्यम ... अमरसिंह मू........................... १८०२]................ ...१७७७ ...२८७ .................टी.क.भावुजी दीक्षित १७७८ ....... अमरकोश सटीक द्वीतीयकांड त्रिपाठ. मध्यम ... अमरसिंह मू.. ....... १८०३/................ .२८७ टी.क.भावुजी दीक्षित १७७९ ...... अमरकोश तृतीयकांड सटीक त्रिपाठ मध्यम ... अमरसिंह -मू.. ............१७७९ .२८७ टी.क. भावोजी दीक्षित १७८० अभिधानचिंतामणिनाममाला अपूर्ण .... मध्यम .. हेमचंद्राचार्य १७८१. अभिधानचिंतामणिनाममाला अपूर्ण .... जीर्ण ... हेमचंद्राचार्य ............. १०-३१ १७८२. अभिधानचिंतामणीनाममाला अपूर्ण.... मध्यम ... हेमचंद्राचार्य, १७८३. अभिधानचिंतामणीनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसह अपूर्ण .................. श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ .. |१७८४ .......अमरकोश प्रथमकांड. मध्यम ...अमरसिंह................ . .........१७७८ * Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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