________________
१३४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी ग्रंथान विशेष नाघ
भाषा
संवत्
पत्र संख्या -
सं.
....१७१६ --.२८६ १७१७ १७१८ .-.२८६ .१७१७. १७१८...२८६
...१७१९ - २८६
१५५४
१०२०....
-
जीर्ण...
१६४१ १७१६ ૧૮૮૬
१७२० ...२८६ १७२१ +.२८६ १७२२ १७२३ १७२४............१६५१ १७२५ २.२८६
ग्रंथांक ग्रंथ नाम
| स्थिति १७१६ ......! सिद्धहेमशब्दानुशासन आख्यातावचूरि
..... चतुर्थाध्यायपर्यंत किंचिदपूर्ण........ जीर्ण १७१७ ...... हैमलिंगानुशासन अपूर्ण ....... मध्यम ... हेमचंद्राचार्य .... १७१८ .....
लिंगानुशासन स्वोपज्ञटीकासह ...... श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य .. १७१९ ..... सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय.... श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ ......सं.
बृहवृत्तिसह प्रा.चंद्रिका.....
जीर्ण ... १७२१ .... पाणिनिव्याकरण अष्टाध्यायीसूत्रपाठ ... १७२२ ..... लघुसिद्धांतकौमुदी................... श्रेष्ठ....बरदगज ............. मध्यमसिद्धांत कौमुदि
श्रेष्ठ.....यरदराज .............. १७२४ ...... पाणिनि उणादिमणवृत्ति ................ श्रेष्ठ... १७२५ ....... पाणिनिपरिभाषा ...................... श्रेष्ठ..... व्याडि .............. १७२६ ....... सिद्धांतचंद्रिका सुबोधिनीव्याख्यासह ... मध्यम ... रामाश्रमाचार्य -मू. .....
व्या. सदानंद ............. सिद्धांतचंद्रिकातत्त्वदीपिकाव्याख्या पूर्वाई
श्रेष्ठ ....बोकेशकर शर्मा ........... सं.. सारस्वतव्याकरण.
..... मध्यम .. अनुभूतिस्यरूपाचार्य ...... सं. सिद्धांतकौमुदी पूर्वार्ध ...
श्रेष्ठ....भट्टोजी दीक्षित ......... सिद्धांतकौमुदी तत्त्वबोधिनी टीका अपूर्ण श्रेष्ठ.......... सिद्धांतचंद्रिका ...... सिद्धांतचंद्रिका स्वरान्तनपुंसकलिंग पर्यंत . मध्यम .. रामाश्रमाचार्य .... सिद्धांतचंद्रिका ......
मध्यम .. रामाश्रमाचार्य सारस्वतव्याकरण.
श्रेष्ठ.... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... सारस्वतव्याकरणटीका.
श्रेष्ठ सारस्वतव्याकरण ...
श्रेष्ठ. अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण.
अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण अपूर्ण
अनुभूतिस्वारूपाचार्य. १७३९ ...... सारस्वतवृत्ति अपूर्ण
चंद्रकीर्ति -यू...........
१७२७...
१८३१
૧૮૬૦
可可可可可可可可可计
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org