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________________ १०९ झेरोक्षसी .डी. ग्रंथापा विशेष नोंध . संवत् पत्र संख्या ... १७६४....... १२३९ थी १२४६ ......... भ.२०६. ........... .प्र.१७ १२५२ ...... प्रा. जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति भाषा १२४४ ...... संग्रहणीप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ ....... श्रेष्ठ .....श्रीचंद्रसूरि -गू....... १२४५/१.... कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि...... |१२५५/२..... भक्तामरस्तोत्र सावरि .... भवानीसहस्रनामस्तोत्र तथा ... जैनरक्षास्तोत्र................... १२४७ ..... धनंजयनाममाला अपूर्ण .................श्रेष्ठ .....धनंजय ............. १२४८ ...... कथासंग्रह श्रेष्ठ ....-.... प्रा.सं. १२४९ ......चंद्राकींटिप्पनिका ............... मध्य म................................ स. १२५० ...... उल्लासिक्कमस्तोत्रबालावबोध ...... -जीर्ण ........ गुज. १२५१ ..... वृत्तरत्नाकर ...... केदारभट्ट .............. जयतिहुयणस्तोत्र....... श्रेष्ठ..... अभयदेवसूरि ..............अप १२५३ ..... दुरियरस्तोत्र अपूर्ण श्रेष्ठ.....जिनबल्लभगणि ........ १२५४ ...... भक्तामरस्तान भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसह पंचपात .. श्रेष्ठ .... १२५५ ...... स्वप्नचितामणि.......................... मध्यम ... जगदेव....... १२५६ ...... लग्नपत्रसारणी.......................... श्रेष्ठ ......... १२५७.......चैत्यवंदनावंदनकप्रत्याख्यानविवरण .... श्रेष्ठ ... १२५८ ....... शिशुपालकथा. १२५९ ....... स्तोत्रस्तवनादिसंग्रह ....................मध्यम ... १२६०........आचारांगसूत्रआलापक .............बालावबोधसह पंचपाठ .................भेष्ठ १२६१ .......क्रांतिसाधन .............. .सं. १२६२ .......सरस्वतीस्तवन ................ १२६३/१..... नेमिनाथबारमासा गीत .............. धर्मकीर्ति. गुज. १२६३/२.....जेसलमेरपार्श्वनाथगीत .............. धर्मकीर्ति गुज. १२६३/३.....जिनचंद्रसूरिगीत ......... धर्मकीर्ति गुज. १२६३/४ .... सीमंधरगीत ........... ..........जीर्ण ....धर्मकीर्ति ... १२६४ ...... ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह अपूर्ण जीर्णप्राया... सं.गु. १२६५ .......ऋषिमंडलप्रकरण ... श्रेष्ठ.....धर्मघोषसूरि ...... १२५५... १२७८ ..२४-३५ ................ ६.८ .........मध्य म... .. अप.गु-- मध्यम गुज. ५२............... Jain Education International For Private &Personal use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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