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________________ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी प्रधान विशेष नोध स्थिति। भाषा संवत संख्या १०८ | ग्रंथांक - ग्रंथ नाम १२२१ .....!जिनागमपाठसंग्रह अस्तव्यस्त ....... १२२२ ..... कथासंग्रह गद्यपद्य...... नैषधमहाकाव्य..................... १२२४ लटकमेलकप्रहसन. ............... अतिजीर्ण मध्यम मध्यम ... हर्षकवि श्रेष्ठ ....शंखधर.. . १२२३ - ७-२४ ११ ...१०.१२२४... १२३४ 2 4 अपूर्ण, प्रति अनु. १६ सैकामां लखायेली छे. पत्र १२७-१८१ नथी : . १२२५ श्रीहर्षकवि ९-२०१ : १२२६ १२२७ १२२८ .... नैषधमहाकाव्य .... सिद्धहेमसूत्रपाठ आदि त्रूटक अपूर्ण .... मध्यम .. अनुत्तरोपपातिकसूत्र. जीर्ण ... सन्मतितकनी चार अपूर्ण प्रतिओ.. तथा अंगविज्जा अपूर्ण .................. श्रेष्ठ .... .: ........५७+५९+२९ ......+३९.१२२४... १२३४ : वृत्ति पत्र १ थी ५७.प्रथमखंड पत्र १ थी ५९. बीजो खंड पत्र १ थी २९. अंगिवजन पत्र १थी ३९ पत्र, ७.१.११.१२.१४.१९.२०,३३.८५. .८६.९१ थी ९६.१४३.१५५.१५७ नथी| ग्रं.१५४. १२२९ ..... नारदीयपुराण अपूर्ण ................... मध्यम. 2 ..........१२२९ र.१४९३-ले.१४९७ ४५.१२२४... १२३४ .ग्रं.१४७ । प्रतिमा १६३-१८७ पत्र नथी ...२५६ १५०-२१२.१२२४... १२३४ ..४.१२२४... १२३४ २०१२३५ थी १२३७ १२/१२३५ थी १२३७ १२३० . प्रेतमंजरी............ मध्यम .. १२३१... विवेकविलास ............ मध्यम ... जिनदत्तसूरि .......... सं. १२३२ ... एकादशीमाहात्म्य-मत्स्यपुराणगत ....... जीर्णप्राय १२३३ ... जीवाभिगमसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड ..... मध्यम ... मलयगिरि -य. ....... १२३४ अष्टकप्रकरण ............ श्रेष्ठ .... हरिभद्रसूरि १२३५ औपपातिकोपांगसूत्र.... जीर्णप्राया १२३६ भयहरस्तोत्र वृत्तिसह ... .......... जीर्णप्राया मंत्रकल्पगर्मित अपूर्ण............... १२३७ श्रीपालचरित्रप्राकृत .............. मध्यम .. हेमचंद्र.............. .. उत्तराध्ययनसूत्र बप्पभट्टीस्तुतिचतुर्विशतिका.......... मध्यम ... बप्पभट्टीसूरि ............ सं. वीतरामस्तोत्रअष्टमप्रकाशवृत्ति ३.अ... मध्यम ... वीतरागस्तोत्रअवचूरि-त्रयोदशनकाशथी वीस सकाशपर्यंत ................ .....श्रेष्ठ ....... एक एक पानानां स्तवन, छंद, सज्झाय, गीत, स्तुति आदि........ |१२४३ ....... भयहरस्तोत्र सटीक अपूर्ण.... FFFFFF १४२८ ... २४/१२३५ थी १२३७ ........ |गा.१३४२ ...१५३९ ....३/१२३९... १२४६ ...........का.९६ प्रथम पत्र नथी २१३.१२३९... १२४६ ................४.५ नथी www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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