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________________ कता श्रेष्ठ .... मा.सं. .../ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथन नाम | स्थिति भाषा | संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न विशेष नोध प्रा.पिंगल अपूर्ण .अन. .........७०८ धातुपाठ अपूर्ण. श्रेष्ठ..... पंचमहावतस्वाध्याय ................ श्रेष्ठ..... कांतिविजय गुज. .....गा.२९. परमानन्दपंचविंशतिका सस्तबक ...... जीर्णप्राय यशोविजयोपाध्याय मू.सं.गु.. ....७११+७१२ ........ मू.श्लो२५ घडविशंति प्रश्नोत्तर चार्थिक, श्रेष्ठ ....जयसोम उपाध्याय ..... .....७११+७१२ नवकारबालावबोध ................... मध्य म ......... गुज.. कर्मस्तवकर्मग्रंथ ससत्वक............. श्रेष्ठ....देवेन्द्रसूरि -मू............प्रा.गु. ..............मू.गा.३५/- पत्र २ जु नथी भर्तृहरिवैराग्यशतक सटीक ........... जीर्णप्राया भर्तृहरि -मू.. .............सं.हि. ..१७४० ......७१५+७१६ .२७२ ७१६ ........ ऋग्वेदयजुर्वेदगतशब्दादिनिर्णय ..... जीर्णप्राया ......... ................. सं. २-२० ......७१५+७१६ ७१७ ......... शब्बभेदप्रकाशनाममाला ..... मध्यम ... महेश्वर कवि .............. सं. श्लो.२७०/७१८...... माधवानलकामकंदलाचोपाई किंचिदपूर्ण मध्यम ..कुशललाभ .............. गुज. २-२० गा. ५२९. पर्यंत ७१९...... हरिबलचरित्ररास-विबुधप्रिया अपूर्ण .... मध्यम .. महिमासमुद्रगणि ........ गुज. गा.१३१९ पर्यंत जिनसमुद्रसूरि -टी. प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र बालावबोधसह पंचपाठ............... श्रेष्ठ....... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र प्रा. ............ १५८२ .अं.४९५४ जीवाभिगमोपांगसूत्र सस्तयक .........श्रेष्ठ प्रा.गु............ १७८६ ................ .......मू.४७५० ............उ.१५००० निरयायलिकादिपंचोपांगसूत्र सस्तबक जीर्ण प्रा.गु................................... भक्तामरस्तोत्र भाषा कवित कल्प घडविधानसहित........................ श्रेष्ठ ......... हिंदी....... ७२५.......श्रावकाराधना ........... श्रेष्ठ ..... .........सं..............१७९५.. ७२६ ......... महादंडकबोल ....... मध्यम... ...... गुज............. १८७० ७२७......... सप्तपदार्थीमितभाषिणीटीका .......... नायव सरस्व ती ........... . ............१६८१ .....७२७/७३७...२७२ ७२८ .........धन्वंतरीयनिघंटु. श्रेष्ठ .... धन्वतरी................. ..सं. स. ............१६०४ ......१३०० ७२९......... विपाकसूत्र सस्तबक ........ .............प्रा.गु-........... १८१६ ७३०........ लधुक्षेत्रसमासप्रकरण यंत्र स्थापना चित्रसह... श्रेष्ठ....रत्नशेखरसूरि............. गा.२६४. प्रा.गु.... जीर्णप्राया...... Jain Education International For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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