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________________ पत्र संख्या विशेष नोध ३जु झेरोक्षसी .डी ग्रंधान .....६८२ .............- गा.२६३/ ........... ...६८६ ............ गा.९० ६८८...२७२ 2114 मू.गा.५१, J...गा.५३, जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति कर्ता भाषा संवत ६८२२..... महावीरस्तवन ....................... --मध्यम ... अभयदेवसूरि ............ .प्रा.1....... लघुक्षेत्रसमासप्रकरण ...... ..जीर्ण .... रत्नशेखरसूरि .प्रा... ........ १६०० नवतत्वप्रकरण सस्तबक अपूर्ण जीर्ण ... प्रा.सं. गौतमस्वामिसज्झाय श्रेष्ठ..... कांतिविजय गुज. दिक्पटचोरासीबोलकवित जीर्ण. हिन्दी ........१७६४ चौदस्वप्नबालावबोध ........... श्रेष्ठ .. गुज. तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपात ....... श्रेष्ठ .... धर्मसागरोपाध्याय -मू.टी प्रा.सं. स्वोपज्ञ सारस्वत आख्यातप्रक्रिया ............... श्रेष्ठ, अनुभूतिस्वरूपाचार्य ..... सं.. नवतत्त्यप्रकरण सस्तबक ............ -प्रा.गु. ........१७४८ नवतत्त्वप्रकरण. .प्रा.. गणेशकथा अपूर्ण .................. हिन्दी स्नात्रपूजा ........... जीर्ण ...+ .अप्र. तत्त्वप्रबोधनाटक .................... श्रेष्ठ ..... जिनसमुद्रसूरि ........... हिन्दी र.१७३०-ले.१७३० ज्ञानपंचमीस्तवन .................... मध्यम ... लब्धिहर्ष गुज. योगशास्त्र अपूर्ण ....................... मध्यम ... हेमचंद्रसूरि कल्पान्तर्वाच्य प्रथमवाचना मध्यम .. जिनभद्रसूरि ... चउगतिचोपाई मध्यम ...यस्तिग... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति चतुष्कवृत्ति अतिजीर्ण दुर्गसिंह -.... दशवैकालिकसूत्र अतिजीर्ण शय्यंभवसूरि . ..... १७०१ योगचिंतामणि श्रेष्ठ.....हर्थकीर्तिसूरि. अभिधानचिंतामणिनाममाला .......... मध्यम ... हेमचन्द्राचार्य, १६९९ मृगावतीचरित्ररास अपूर्ण मध्यम ... समयसुंदरगणि रात्रिभोजनरास .................. मध्यम.. | गुज. ७०५ जीवविचारप्रकरण सस्तबक ........... श्रेष्ठ ..... शांतिसूरि मू. प्रा.गु. १७७८ देशीनाममाला श्रेष्ठ ..... हेमचन्द्राचार्य ...... १७०१ परमात्मस्वरूपगीत तथा अध्यात्मगीत.. श्रेष्ठ .....यशोविजयोपाध्याय ..... हिंदी ६९३ ...२७१ गा.१८१, ६९५............ गा.७७ ................ प्रति पाणीमां भीजाएल छे गा.९६ ..४१ ७०२ ७०२.. ७०३. ७०४ - २८२ ३-२६ गा.२४९ मू.गा.५१ श्लो.९२० ....गा.२१-५ ७०६ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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