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________________ ५४ ............. ...प्रा. ...प्रा जीर्ण...--- जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक __ ग्रंथर्नु नाम | स्थिति | कर्ता भाषा | संवत् पत्र संख्या | झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान विशेष नोध ७३१......... प्रदेशीराजरास ................ ......श्रेष्ठ.....ज्ञानसागर आंचलिक... गुज. ... ७२७... ७३७............११०० गा. ७२१ ७३२....... उत्तराध्ययनसूत्र ..................... श्रेष्ठ ..... ......२१०० ७३३.... उपासकदशांगसूत्र सस्तबक .... श्रेष्ठ.... ................. प्रा.गु १६९६ ....अं.२००० अंतकृदशांगसूत्र ............... श्रेष्ठ ........ उपदेशमालाप्रकरण ...... मध्यम ...धर्मदासगणि .............. प्रा. गा.५४३, प्रति पाणीमां भीजाएली छे सुभाषितावलि ..... जीर्णप्रायः.. प्रा.सं ........... प्रति चोंटेली छे नमस्कारबार्तिक ....... ७२७...७३७ सप्तस्मरण सस्तबक अपूर्ण.... जीर्ण सप्तस्मरण ...... जीर्णप्रायः देववन्दनादिभाष्यत्रय...... देवेंद्रसूरि ..गा.१५३ .........वंदारुवृत्ति-श्रायकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि ७४१.,.२७२ ७४२......... सिंदूरप्रकर सस्तवक ...... सोमप्रभाचार्य -मू.... ......१७७० मू.का.९९ ७४३........ श्रावकविधिप्रकाश..... क्षमाकल्याण ...... गुज. र.१८३८-ले.१९०९ ७४४/१...... समाधितंत्रदुहा ..... यशोविजयोपाध्याय ... दुहा १०४ ७४४/२ ..... हितशिक्षाद्वात्रिंशिका आदि ............ क्षमाकल्याण आदि .... गा.३२ ७४५........ आगमसार .................... मध्यम... देवचन्द्र ............ १७७६ ७४६........द्रव्यप्रकाश........................... श्रेष्ठ ..... देयचन्द्रगणि ........... | हिंदी र.१७१७-ले.१९०९ .. ग्रं.७५ ७४७......... सुरसुंदरीरास अपूर्ण ............... ...श्रेष्ठ..... नयनसुंदर ............ गुज.. ७४८...... जीवविचारप्रकरण सस्तबक ...... श्रेष्ठ ..... शांतिसूरि -मू........... प्रा.गु............ १८३६ ...............मू.गा.५१ मजलस ............... मध्यम ....... ................. है.उर्द ....... ................. २ ७५०....... सिद्धांतहुंडिका सटीक त्रिपाठ.......... श्रेष्ठ ......... ......प्रा.स. ................... ४-२३ ................... ७५१....... उपासकदशांगसूत्र सस्तबक...... जीर्णप्राया ....... मा.गु. ...................... ३८ ............... ७५२ ....... तर्कसंग्रह दीपिका टीका .......... श्रेष्ठ..... अभट्टोपाध्याय ...... .सं. ७५३ ..... महावीरस्वामिचरित्रस्तोत्र बालावबोधसह श्रेष्ठ ..... जिनवल्लभगणि मू..... प्रा.गु. ....७५३...७६७ .........मू.गा.४४ ७५४/१.. पष्टिशतप्रकरण ........ नेमिचंद्र भंडारी ........ ..१-९ |... ७५३... ७६७ ..........गा.१६१ ७५४/२ चैत्यवंदनाकुलक ............... श्रेष्ठ.. ... ७५३... ७६७ ............गा.३५ ७५५... वीतरागस्तव ................. श्रेष्ठ..... हेमचंद्रसूरि ...७५३... ७६७ ...२७२ ७५६.......-नवतस्याप्रकरणात नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक..... ........... १ ............. मू.गा.४७ ......... ४९....... .....११ ..१६ श्रेष्ठ.... ..९-१२ श्रेष्ठ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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