SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पत्र संख्या सी.डी. ग्रंथाना विशेष नोध ग्रं.५६. गुज.. ......५१२...२७१/....१५५० गा.१५० ......५१४ ११५.५१६ --....-----...६२२ ५१५+५१६ ...२७१ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम | स्थिति. कर्ता भाषा संवत् ५१०......... योगशास्त्र प्रथम प्रकाश ................श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि ............... .सं................. ५११/१ ...... अनाथीमुनिसंधि, बिमलविनय.............. गुज............. १६४७ ५११/२ ...... सिंहलसुतचोपाई-प्रियमेलकचोपाई अपूर्ण........... ............... जीर्ण ....समयसुंदर .............. ५१२......... संदेहदोलावली लपुटीकासह ...........श्रेष्ठ ..... जिनदत्तसूरि मू.. ......मा. सं. र. १४९५-१५७४ जयसागरोपाध्याय -वृ. ५१३...... गणधरसार्धशतकप्रकरण ................जीर्ण .... जिनदत्तसूरि .......... दानादिकुलक सस्तबक अपूर्ण .......... श्रेष्ठ ..... ५१५........Jशानार्णवसारोद्धार ...................... मध्यम ...शुभचंद्राचार्य ............ प्रशमरतिप्रकरणअवचूरि ................ जीर्ण .... पर्यन्ताराधनाप्रकरण बालावबोधसह ....जीर्णप्रायः सोमसूरि -मू.......... पर्यन्ताराधनाप्रकरण सस्तंबक ..........जीर्ण ....सोमसूरि -मू........ पर्यन्ताराधनाप्रकरण .................... श्रेष्ठ ..... सोमसूरि ..... नैषधमहाकाव्य अपूर्ण .................. मध्यम ... श्रीहर्षकवि कातंत्रव्याकरण गोल्हणवृत्ति अपूर्ण .....अतिजीर्ण गोल्हण -वृ. सारस्वतव्याकरण त्रूटक अपूर्ण ..... रामकलशव्याकरण ............... जीर्णप्रायः .... संग्रहणीप्रकरण .................. जीर्ण .... श्रीचंद्रसूरि ........... संग्रहणीप्रकरण बालायबोधसह ....... जीर्णप्राय श्रीचंद्रसूरि -मू. ..... अनेकार्थतिलकनाममाला........... श्रेष्ठ ..... महिप ............. १७८१ कतिचिद्विचारबालावबोध जीर्ण........ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र अपूर्ण ............ श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी खंडनखंडखाद्य...... श्रेष्ठ.....श्रीहर्ष.. १५५४ तत्त्वचिंतामणीमंगलवाद ............. मध्यम... गंगेश भट्ट..... संबंधोद्योत ............ मध्यम ... रभसनंदी...... ५३२....... वैद्यक ज्योतिष प्रकीर्णकसंग्रह .......... श्रेष्ठ .. १७०२ ५३३/१.... जीविवचारप्रकरण. शांतिसूरि ............. प्रा. ५३३/२ ......नवतत्वविचारगाथा जयशेखरसूरि. ............... प्रति चोंटेली छे ...................गा.७० 4........... ....... ५२१...२७१ .......... प्रति पाणीमां भीजाएली छे .. ५२३ थी ५२६ ...२७१/...... ५२३ थी ५२६ .. 1.-५२३ थी ५२६ .................. प्रति पाणीमां भीजाएली छे २३ .. ५२३ थी ५२६ ...२७१/.....८९८ .. ५२९ थी 1.. ५२९ थी .. ५२९ थी ..... ११-१७ नथी ...२७१ ५३१.८.२७१ 1.२७१ ................ पाना अस्त व्यस्त छे. ............. ........................... १५-१७ -- जयशखरसार............प्रा................. १७-१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy