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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भावनाकुलक जुओ - द्वादशभावनाकुलक, आचार्य-जिनेश्वरसूरि, अपभ्रंश, गा.३२ भावनाकुलक जुओ - भवभावनाकुलक, अज्ञात-सोमदेव, प्राकृत, गा.२४ भावनाकुलक (चतुर्विधभावनाकुलक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः सुमरिवि पञ्चपरमिट्ठी थुइ तिजग गरिद्धि... पाताखेत ६- पे.क्र. ३२, पृ. १८७-१९०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- चतुर्विधभावनाकुलक प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः संसारविसमसायर भवजल वडयाण... पाताहेसं १८९- पे.क्र. १७, पृ. १०२A-१०३B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः रे जीव पावकम्मयहु लहं लहिऊण... पातासंघवी १४५-१-पे.क्र. १४, पृ. १३७-१३८, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ भावनाकुलक आचार्य-जयघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.४५, पाताहेसं १८९- पे.क्र.९, पृ. ८०A-८२B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. पहली गाथा नहीं है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३०, पृ. २१२-२१४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-४. कुल झे.पृष्ठ-३१ भावनाकुलक जुओ - धर्मोपदेशकुलक, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.२२ भावनाकुलक जुओ - मनोनिग्रहभावनाकुलक, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्राकृत, गा.४४ भावनाकुलक जुओ - मिथ्यादुष्कृतकुलक, प्राकृत, गा.१६ भावनाकुलक जुओ - श्रावकधर्मकुलक, प्राकृत, गा.२१ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः पढमन्ति जिणवराणं उसभसेज्जं समकुशासनः।... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३१, पृ. ६०अ-६२अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४१-४२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाताखेत ४४-१- पे.क्र.५, पृ.?-३३५, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक पत्र नहीं है. 578
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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