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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०६२५- पे.क्र.२, पृ. १-८, इन्द्रियपराजयशतक तथा भववैराग्यशतक, वि-१६मी, संपूर्ण भवस्थितिकुलक आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ५, पृ. १०-११, विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवस्थितिकुलक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ५, पृ. ११, विचारषट्विंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवस्थितिकुलक-(मा.ग.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र.५, पृ. ११, विचारषटिंत्रशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवियकुटुम्बचरित्र आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः पढम जिणिन्दह पाय पणमेवी सेत्तुञ्जमण्डणु झाणु धरेवी... कृ.विः द्रविडी भाषया एम पुष्पिकामां लख्यु छे. पाताखेत ६- पे.क्र. २०, पृ. १४२-१४६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- कृति के अन्त में द्रविडीभाषया का उल्लेख है. द्राविडी भाषा तो नहीं परन्तु संभव है कि द्राविडी लिपि पर से ये देवनागरी लिपि लिखी गई है, क्योंकि आज भी देवाःप्रभोस्तोत्र आदि तेलुगु लिपि की प्रतों में मिलते हैं. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र.३, पृ. २-३, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भव्यचरित आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.४४, आदि वाक्यः भविय सुणउ भवजीवहं चरिउ सोविहिं मणु नीचलु धरिउ... पाताखेत ६- पे.क्र. १९, पृ. १३७-१४२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ भव्यजीवमनोरथ प्रा., पद्य, गा.१२, पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ११, पृ. ११-१२, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ भारतीस्तोत्र सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः राजते श्रीमती देवता भारती शारदेन्दुप्रभा... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र.१०, पृ. ६०-६B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ भावनाकुलक जुओ - एगुणतीसी भावना, प्राकृत, गा.३० भावनाकुलक जुओ - दाङ्गडउ, अपभ्रंश, गा.२९ 577
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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