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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन (देवगुर्वादिवर्णन भावनात्मक) सं.. पाकाहेम ८३८८, पृ. ३, भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१८५, पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १४, पृ. १५३-१६७, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १६४मुं नथी. डीवीडी-३७/५४ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२०८, पातासंघवी १८४-१- पे.क्र.६, पृ. १०१-१२१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सव्वयरे भगवन्ते अणुत्तरे... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १४, पृ. १-१२, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र १-८. शताधिक गाथा के साथ-साथ १२मी भावना अपूर्ण तक है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० भावनाप्रभावे धनदत्तकथानक जुओ - धनदत्तकथानक भावनाप्रभावे, प्राकृत, गा.११२ भावनाप्रभावे बहुबुद्धिकथानक जुओ - बहुबुद्धिकथानक भावनाप्रभावे, प्राकृत, गा.११८ भावनायां खुड्डककुमार कथानक जुओ - खुड्डककुमार कथानक भावनायां, प्राकृत, श्लोक १३५ भावनालेशकुलक आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः एत्तं परम्परोवणिहियाए ठाणाणमप्पबहु भावे... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १५, पृ. ६०-६२, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ भावनाविषये ईलातीपुत्रकथा (ईलातीपुत्रकथा भावनाविषये) प्रा., पद्य, श्लोक६८, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १५, पृ. २३०-२३४, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ भावनासङ्ग्रह सं. कृ.विः दिगम्बरकृत. पातासंघवी १९५-१, पृ. १९३, भावनासङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १-२नो टुकडो एक एक छे. छेल्लां पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ भावनासन्धि मुनि-जीवदेवमुनि, अप., पद्य, गा.६३, 579
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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