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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि २०वी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय-१ की गाथा-४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-८७ प्रवचनसारोद्धार (विचारमुखप्रकरण) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५९९, ग्रं.२०००, आदि वाक्यः नमिऊण जुगाइजिणं वोच्छं भव्वाण जाणणनिमित्तं... पाताखेत २४-१, पृ. १७४, प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४२- पे.क्र. १, पृ. १५६, प्रवचनसारोद्धार तथा दशवैकालिकसूत्र, वि-१२९५, संपूर्ण डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८४, पृ. २०७, प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक, चोंटेलु-नकामुं. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १५०- पे.क्र. २, पृ. १८४-२६६, वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि) व प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४७-१, पृ. १९७, प्रवचनसारोद्धार, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण पत्र ४-२१-२२-२४-११५-१४०-१७०-१८८ नथी. १७मां पानानो टुकडो नथी., . डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५७-२, पृ. १७२, प्रवचनसारोद्धारसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- अंत नथी, १६३ पाना पछी एक बाजुनी कोर खरी गई छे. डीवीडी-३६/५३ पाकाहेम १०३६१, पृ. ६४, प्रवचनसारोद्धारप्रकरण, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १०५६४, पृ. ८१, प्रवचनसारोद्धारप्रकरण, वि-१५१६, संपूर्ण प्रवचनसारोद्धार-(सं.)तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति (तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२४८, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः सन्नद्धैरपि यत्तमोभिरखिलैर्न स्पृश्यते कुत्रचित्... कृ.विः पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्त्ता सिद्धर्षि लख्या छे. पातासंघवी १०१, पृ. २५२, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति २२१मा द्वारथी सम्पूर्ण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छेल्ला पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११५, पृ. ३१८, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति तृतीयखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३२, पृ. २३१, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६२ द्वार सुधी (भाग-१/२), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ७१-१, पृ. ३१७, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६३ थी १५१ द्वार सुधी द्वितीयखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५-१६-१७ना टुकडा उधईथी खवाया छे. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १०२, पृ. १७७, प्रवचनसारोद्धारटीका खण्ड-२, ४२-७२ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-७/१६ 521
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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