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________________ प्रवचनसार कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ४३४ पे क्र. २ पृ. १४८A- १८१B सङ्ग्रहणी व प्रवचनसन्दोह संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण प्रारंभ के पत्र है. पद-६ की पहली गाथा तक है. प्रत विशेष- पत्र - १४८-१८१. कुल झे. पृष्ठ - १०, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३६ पृ. ७३७९ दशवेकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ ९० भांका १६१ पे क्र. १, पृ. १-११, प्रवचनसन्दोह जीवदयाप्रकरण व गाथाकोश, वि-१७८९ संपूर्ण पे. नाम पवयणसंदोहपगरण प्रत विशेष भण्डारसंदर्भाक-८२० / ९५-१९०२ कुल हो, पृष्ठ- १४, झे. डीवीडी-८६ आचार्य - कुन्दकुन्दाचार्य [दिगम्बर आचार्य], प्रा., पद्य, आदि वाक्यः एस सुरासुरमणुसिन्दवन्दिदं ... भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि २०वी, अपूर्ण - प्रत विशेष प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण अध्याय-१ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार-(सं.)टीकानो (हि.) पद्यानुवाद हिन्दी, पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध सदन बुधि वदन मदन मद कदन दहन रज..... कृ.विः विः अमृतचन्द्राचार्थीय सं टीका की हेमराज पांडे कृत भाषाटीका के अनुसार, भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि२०वी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय- १ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ १८, डीवीडी- ८७ प्रवचनसार - (सं.) छाया सं., पद्य, आदि वाक्यः एष सुरासुरमनुष्येन्द्रवन्दितं धौतघातिकर्ममलम् .... भांका २०४, पृ. २१ प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद वि२०वी, अपूर्ण प्रत विशेष प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण अध्याय १ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ - १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार - (सं.) छाया सं., पद्य, आदि वाक्यः एष सुरासुरमनुष्येन्द्रवन्दितं धीतघातिकर्ममलम्.... भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि२०वी अपूर्ण प्रत विशेष - प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय-१ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार-(सं.)टीकानो (हि.) पद्यानुवाद हिन्दी, पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध सदन बुधि वदन मदन मद कदन दहन रज.... कृ.वि: अमृतचन्द्राचार्थीय सं टीका की हेमराज पांडे कृत भाषाटीका के अनुसार, 520
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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