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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दुःख-सुखविपाककुलक (दुह-सुहविवागसूयक कुलग) प्रा., पद्य, गा.२७, आदि वाक्यः अणवरयकम्म-जललहरिहीरमाणेहिं जन्तुनिवहेहिं... पाताहेसं १४२- पे.क्र. ३, पृ. ३-६, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ दुःषमाव्यवच्छेदस्वरूप प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः झद्धित्तुमियसमिद्धं भारहवासं जिणिन्दकालिम्मि... भांता ७०- पे.क्र. ९९, पृ. १३६A-१३७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दुर्गपदवृत्ति जुओ - नन्दीसूत्र-(सं.)दुर्गपदवृत्ति, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३३०० दुर्गपदवृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति-(सं.)अवचूरि, संस्कृत दुर्गपदवृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि, संस्कृत दुर्गपदव्याख्या जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास, आचार्य-कनकप्रभसूरि, संस्कृत दुर्घटसङ्ग्रह जुओ - रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत-किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह, कवि-राजकुण्ड, संस्कृत, श्लोक१०१६ दुषमगण्डिका (दूसमवोच्छेयगण्डिया), (दुषमगण्डिका), (दुसमगण्डिया), (विषमदण्डिका) प्रा., पद्य, गा.८१, ग्रं.१०४, आदि वाक्यः नमिऊण जिणवराणं णिज्जियमयमाणं निम्ममत्ताणं... कृ.विः गाथा-८३-१०४ सुधी मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र.९, पृ. १९८-२०७, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. नाम- दूसमगंडिया/विषमदंडिका, पे. विशेष- गाथा-११२. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ५४-२- पे.क्र. ३, पृ. १-१९, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. नाम- दुसमगण्डिया, पे. विशेष- गाथा-११२. डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र.८, पृ. २२७-२४२, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ तालाद ३३९- पे.क्र. १५, पृ. ९१-१०१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ दुषमोद्धारप्रकरण (दुसमोद्धार) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.४७, आदि वाक्यः नमिउण भुवणवीरं... पाताहेसं ११९- पे.क्र. ११, पृ. १५३-१५६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २१, पृ. ८०-८१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ८२,८३ नथी. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ 362
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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