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________________ प्रत विशेष - पत्र ३५मुं अने ६१मुं नथी कुल झ. पृष्ठ-५७ झे. तत्त्वचिन्तामणी - (सं.) आलोक टीका (आलोक टीका) कृति उपरथी प्रत माहिती जैनेतर - जयदेव, सं., गद्य, पाकाहेम १०७१४, पृ. ४४ तत्त्वचिन्तामणि आलोकटीका प्रथमपरिच्छेद, वि-१७मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष पत्र २६ डबल छे, तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद (आख्यातवाद) तत्त्वसार जैनेतर गढ़गेश्वर मिश्र, सं., गद्य, पाकाहेम ६८६६, पृ. १-३८, आख्यातवाद, वि-१७मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रमां टीकाकार - रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य मूलकार - भट्टाचार्य शिरोमणि तरीके आप्यो छे. कुलझे पृष्ठ-४ तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति जुओ प्रवचनसारोद्वार (सं.) तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति, आचार्य सिद्धसेनसुरि, संस्कृत ग्रं. १८००० तत्त्वधर्मोपदेशामृत जुओं धर्मोपदेशामृत मुनि-पद्मनन्दिदेव संस्कृत श्लोक३४ " तत्त्वप्रकाशक जुओ - सम्बोधप्रकरण, आचार्य हरिभद्रसूरि, प्राकृत तत्त्वप्रकाशिका वृहद्वृत्ति जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासन- (सं.) बृहद्वृत्ति, आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत तत्त्वविवेक विवरण जुओ पदार्थतत्त्वनिर्णय - ( सं . ) तत्त्वविवेक विवरण, मुनि-आनन्दज्ञान, संस्कृत तत्त्वसार - " कमलकीर्तिदेव प्रा.. पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६, तत्त्वसार वृत्तिसहित - अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण तत्त्वसार- (मा.गु.) वृत्ति मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६, तत्त्वसार वृत्तिसहित अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण - आचार्य देवसेन (दिगम्बर), प्रा., पद्य, गा.४ पाकाहेम ११०२७- पे क्र. १ पृ. १ तत्त्वसार आदि वि-१७मी, संपूर्ण तत्त्वसार- (मा.गु.) वृत्ति मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६ तत्त्वसार वृत्तिसहित अपूर्ण वि-१७मी अपूर्ण तत्त्वार्थसूत्र जुओ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र वाचक उमास्वाति, संस्कृत " तत्त्वार्थाधिगमसूत्र (तत्त्वार्थसूत्र ) वाचक- उमास्वाति सं अध्याय १०, आदि वाक्यः (१) सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ... (२) मोक्षमार्गस्य नेतारं भेत्तारं कर्मभूभृताम्।... पातासंघवीजीर्ण ९१ पे. क्र. १, पृ. २-२१B, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. ताडपत्रीय प्रथम पत्र नहीं है. प्रारंभिक १ से ६ कारिकाएं नहीं है. झेरोक्ष पत्र - १ - १२ . प्रत विशेष जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७९-१- पे. क्र. ७, पृ. २२२-२४९, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ भांता ४९ पृ. ३९१ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण 7 प्रत विशेष सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय ७ सूत्र २० सुधी छे अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खुटे छे. कुल झे. पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८ वि - १४८६, प्रतिपूर्ण 317
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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