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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ठाणाङ्गगत पाठ जुओ - स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)ठाणाङ्गगत पाठ, प्राकृत ठाणाङ्गसूत्र आलापक जुओ - स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)ठाणाङ्गगत पाठ, प्राकृत ठाणाप्रकरण जुओ - मूलशुद्धिप्रकरण, आचार्य-प्रद्युम्नसूरि, प्राकृत, गा.२१४ ढड्ढसियचरिय (दृढर्षिचरित्र), (ढड्ढसियवीरचरिय) आचार्य-जिनदत्तसूरि[पूर्णतल्लगच्छ], गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि[पूर्णतल्लगच्छ], प्रा., पद्य, गा.२०३, कृ.विः अन्तवाक्य-एयं चरियं जए होओ. पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ५, पृ. २-२६A, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३२-३९ पर उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० ढड्ढसियवीरचरिय जुओ - ढड्ढसियचरिय, आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्राकृत, गा.२०३ ढुण्ढिका अवचूरि जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि ढुण्ढिका, संस्कृत, ग्रं.३२०० ढुण्ढिकावृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)दुण्ढिकावृत्ति, मुनि-सौभाग्यसागर, संस्कृत णायाधम्मकहाओ जुओ - ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.५००० ततार द्विजराजत्वे श्लोकनवार्थी सं., पद्य, आदि वाक्यः ततार द्विजराजत्वे... पाकाहेम ८६८३- पे.क्र.३, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ तत्त्वचिन्तामणी (चिन्तामणि), (न्यायतत्त्वचिन्तामणि) जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, सं., ग्रं.२८११, पाकाहेम १०४२९, पृ. ४६, तत्त्वचिन्तामणि प्रथमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-४७ पाकाहेम १०७१३, पृ. ४७, तत्त्वचिन्तामणि द्वितीयपरिच्छेद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १३५०७, पृ. ६२, न्यायतत्त्वचिन्तामणि, वि-१६३४, संपूर्ण प्रत विशेष- एक खुणेथी बळी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६३५४, पृ. ६३, चिन्तामणि प्रथम परिच्छेद, वि-१७०४, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १६३५५, पृ. ६७, चिन्तामणि द्वितीय परिच्छेद, वि-१७०४, प्रतिपूर्ण तत्त्वचिन्तामणी-(सं.)आलोक टीका (आलोक टीका) जैनेतर-जयदेव, सं., गद्य, पाकाहेम १०७१४, पृ. ४४, तत्त्वचिन्तामणि आलोकटीका प्रथमपरिच्छेद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २६मुं डबल छे. तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद (आख्यातवाद) जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, सं., गद्य, पाकाहेम ६८६६, पृ. १-३८, आख्यातवाद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रमा टीकाकार-रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य मूलकार-भट्टाचार्य शिरोमणि तरीके आप्यो कुल झे.पृष्ठ-४ प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट (दीधिति परिशिष्ट) जैनेतर-गुणानन्द भट्टाचार्य, सं., कृ.विः गंगेश्वराचार्यकृत तत्त्वचिन्तामणि का हिस्सा प्रत्यक्षखंड की दीधितिटीका का गुणानन्द भट्टाचार्यकृत परिशिष्ट है. पाकाहेम ५०८६, पृ. ८६, प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट, वि-१८३३, संपूर्ण 316
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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